प्रमोद दत्त.
पटना.बिहार में एनडीए की सरकार पहली बार नहीं बनी है लेकिन पहली बार न्यूनतम साझा कार्यक्रम घोषित किए बिना चल रही है साझेदारी (गठबंधन) की सरकार.
प्रमुख विपक्ष राजद के महासचिव व प्रवक्ता चितरंजन गगन का कहना है कि जदयू व भाजपा ने अलग अलग घोषणा पत्र जारी कर पिछला चुनाव लड़ा था.बल्कि जदयू ने महागठबंधन के साझा घोषणा पत्र पर चुनाव लड़ा था.भाजपा ने जदयू के साथ गठबंधन किया है और सरकार में शामिल है.भाजपा को बताना चाहिए कि जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर जो साझा कार्यक्रम बनाया था- क्या उसे स्वीकार कर लिया है.साथ ही जदयू नेतृत्व को भी यह साफ करना चाहिए कि भाजपा के घोषणा पत्र के किसी बिंदु पर उन्हें आपत्ति है या सभी स्वीकार हैं.
विपक्ष का यह सवाल स्वाभाविक है.गौरतलब है कि 2005 और 2010 चुनाव के बाद बिहार में नीतीश के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी.चुनाव के ठीक बाद दोनों दलों की सहमति से सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम घोषित किया गया.जिन मुद्दों पर दोनों दलो के बीच सहमति नहीं बनी उसे न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया.
पिछले चुनाव (2015) में जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा.सात निश्चय कार्यक्रम के साथ साथ तीनों दलों का साझा कार्यक्रम(घोषणा पत्र) को आधार बनाकर चुनाव लड़ा गया.दूसरी ओर भाजपा,लोजपा,हम,रालोसपा (एनडीए) ने अपना अलग अलग घोषणा पत्र जारी किया.चुनाव के ठीक बाद महागठबंधन की सरकार बनी लेकिन महागठबंधन में टूट हुई और जदयू फिर एनडीए में वापस हो गई.
इससे पहले 2005 और 2010 में जो एनडीए की सरकार थी उसमें सिर्फ जदयू व भाजपा थी जबकि इसबार के एनडीए सरकार में जदयू,भाजपा और लोजपा शामिल है और हम एवं रालोसपा का समर्थन प्राप्त है.पांच दलों के समर्थन की सरकार में न्यूनतम साझा कार्यक्रम और भी आवश्यक हो जाता है.
सवाल इसलिए उठ रहा है कि कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट नहीं है.उदाहरणार्थ,महागठबंधन के साझा कार्यक्रम में है- महागठबंधन की मांग है कि जातिगत जनगणना को केन्द्र सरकार तत्काल जारी करे.साथ ही जनसंख्या के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जाए.निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण का प्रावधान किया जाए.इसके लिए केन्द्र सरकार पर दबाव बनाए रखेंगें.दूसरी ओर भाजपा के घोषणा पत्र में शामिल है-गौ संवर्धन के लिए गौ पालक निदेशालय की स्थापना की जाएगी और राज्य के गौशालाओं का पुनरूद्धार किया जाएगा व सरकार के स्तर पर अनुदान दिया जाएगा.अलग अलग घोषणा पत्रों की अलग अलग बातें सरकार में शामिल दलों को मान्य है या न्यूनतम साझा कार्यक्रम की जरूरत है.आम जनता को यह जानने का अधिकार तो है ही.