प्रमोद दत्त.पटना.राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने नरेन्द्र मोदी का खाल उतरवा लेने का बयान दिया और बिहार की राजनीति गरमा गई.हालांकि लालू प्रसाद ने अपने बेटे के बयान को गलत बताया लेकिन सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या तेजप्रताप के बिगड़े बोल लालू प्रसाद की रणनीति का हिस्सा है.अगर नहीं तो बार ऐसा बयान क्यों देते हैं तेजप्रताप?
दरअसल,लालू प्रसाद अपने समर्थकों के मन-मिजाज को देखते हुए,उनमें उर्जा बनाए रखने के लिए विरोधियों के लिए ऐसे लठ्ठमार बयान समर्थकों के बीच पहुंचाते रहना चाहते हैं.रविवार को लालू सहित कुल आठ वीआईपी की सुरक्षा में कटौती की खबर आई.सोमवार को मीडियाकर्मियों ने इसपर विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रिया ली.लालू प्रसाद और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने भी इसकी आलोचना करते हुए इसे हत्या की साजिश बताया.लेकिन सीमाओं का उलंघन करते हुए तेज प्रताप ने कहा-यह लालूजी का मर्डर कराने की साजिश है.अगर लालूजी को कुछ होता है तो नरेन्द्र मोदी का खाल उतरवा देंगे.जब एनडीए नेताओं ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी तब लालू प्रसाद ने बेटे के बयान को गलत बताया.इससे पहले सुशील मोदी के बेटे की शादी में बाधा पहुंचाने और घर में घुसकर मारने के तेजस्वी के बयान पर भी लालू ने रफ्फू कर दी थी.
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि लालू प्रसाद की शह के बिना बार-बार तेजप्रताप के बिगड़े बोल सामने नहीं आ सकते हैं.तेल पिलावन-लाठी चमकावन रैली करने वाले लालू प्रसाद के समर्थक इसी तरह के बयानों से उत्साहित होते हैं.वैसे भी सत्ता से बाहर आने का गम उनके समर्थक भूल नहीं पाए हैं और नरेन्द्र मोदी व नीतीश कुमार उनके निशाने पर हैं.जब 1990-95 के दौरान लालू प्रसाद अल्पमत की सरकार चला रहे थे तब सदन में विपक्ष का मुंह बंद कराने के लिए सात-आठ उग्र विधायकों का दस्ता तैयार कर रखा था जिसे मीडिया ने लालू-बिग्रेड का नाम दिया था.इन विधायकों को अक्सर लालू प्रसाद सदन के अंदर हाथ के इशारे से उकसाते रहते थे.इसी दौरान साधु यादव ने सुशील मोदी का सदन के अंदर हाथ ममोड़ा था.जब कभी हंगामा या गाली गलौज हदों को पार किया तब लालू प्रसाद ने सदन में खेद प्रकट कर मामले को शांत किया.लेकिन इस सिलसिले का कभी अंत नहीं हुआ.इसलिए यह माना जा सकता है कि लालू प्रसाद ने बड़े बेटे को इसकी छूट दे रखी है और मामला बिगड़ने पर इसे गलती मानते हुए रफ्फू करने की कोशिश की जाती है.
तेजप्रताप द्वारा प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी पर दिए गए आपत्तिजनक बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व विधायक तथा भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं “ सत्ता से हटने और भ्रष्टाचार से जमा की हुई संपत्ति के जाने के डर से हताश लालू जी खुद भी ऊल-जुलूल बयान देने के आदि रहे हैं और अब उन्होंने अपने बेटों को भी इसी काम में लगा दिया है. आज लालू जी एक तरफ अपने बच्चों को गलतबयानी करने के लिए उसकाते हैं और दूसरी तरफ बयान आने के बाद हंगामा होने पर उसे रफ्फू भी करने लगते हैं. कोई भी पिता अपने बच्चों को हमेशा सही बातें सिखाता है, लेकिन लालू जी उन सबसे अलग अपने बेटों को अभद्र आचरण और अमर्यादित बयान देने की ट्रेनिंग देने में लगे हैं.
वैसे,लालू प्रसाद भी लठ्ठमार भाषा का प्रयोग करते रहें हैं.1990 से अबतक उनके ऐसे बयानों की सूची बनाई जाए तो वह काफी लंबी होगी.बल्कि प्रेक्षक बिहार की राजनीति में अपसंस्कृति के लिए लालू प्रसाद को जिम्मेदार मानते हैं.कभी लालकृष्ण आडवाणी के लिए तो कभी सुशील मोदी के लिए लालू के बोल सख्त रहे हैं.1994 में जब जार्ज फर्नाडीस के नेतृत्व में नीतीश सहित 13 सांसदों ने जनता दल छोड़ा था तब उन सांसदों के प्रति लालू के बोल और पटना की सड़कों पर उन सांसदों के प्रति उनके समर्थकों का उग्र व अमर्यादित भाषाओं का प्रयोग किया था.
प्रेक्षकों का मानना है कि लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी ने कम समय में ही सधे बयान देना सीख लिया है और राजनीति में आगे जाने की संभावना भी उनमें दिख रही है.लेकिन बड़े बेटे तेजप्रताप में कोई खास संभावना नहीं देख उनमें लालू-स्टाइल उभारने की कोशिश की जा रही है.एक समझदार तो दूसरा लठ्ठमार रहेंगे तो दोनों फ्रंट पर राजद को लाभ मिलेगा.इसी रणनीति पर लालू प्रसाद काम कर रहे हैं और तेजप्रताप को बड़बोलेपन की छूट दे दी गई है.