ऋग्वेद में भी चर्चा है छठ महापर्व की

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इशान दत्त.आस्था के महापर्व छठ की चर्चा ऋग्वेद में भी की गई है.सतयुग में सुकन्या और द्वापर में द्रौपदी ने छठ व्रत किया था.हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी को अस्ताचलगामी और उदीयमान भगवान भास्कर (सूर्य ) की उपासना की जाती है और भगवान भास्कर को अर्ध्य देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.

पहले तो यह पर्व मुख्य रूप से बिहार,झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता रहा है लेकिन अब पूरे देश में और विदेशों में रह रहे भारतवंशियों द्वारा मनाया जाता है.जानकार बताते हैं कि सृष्टि के संचालक और पालनकर्ता सूर्य की उपासना की चर्चा ऋग्वेद में मिलती है.ऋग्वेद में देवता के रूप में सूर्यदेवता का उल्लेख मिलता है.

पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए राजा प्रियवद ने सर्वप्रथम इस व्रत को किया था.वहीं महाभारत में सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण द्वारा सूर्यदेव की पूजा का उल्लेख है.द्रौपदी ने भी अपने परिजनों के कल्याण एवं लंबी उम्र के लिए सूर्य उपासना की थी जिसका प्रमाण धार्मिक ग्रंथों में मिलता है.

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