अभिजीत पाण्डेय.पटना.तेजस्वी यादव से इस्तीफे की मांग को लेकर नीतीश कुमार को दो मोर्चे पर संघर्ष करना पड़ रहा है.इस मुद्दे पर पार्टी के अंतर्विरोध ने मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.अपनी पार्टी को बचाना और फिर सहयोगी राजद के साथ साथ विपक्षी पार्टी भाजपा को झेलने के मोर्चे पर एक साथ जूझना पड़ रहा है नीतीश कुमार को.
तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर जेडीयू का एक गुट राजद के समर्थन में मजबूती से खड़ा है तो दूसरा गुट नीतीश के हर निर्णय के साथ दिख रहा है.यही कारण है कि लालू प्रसाद तेजस्वी के इस्तीफा नहीं देने को लेकर अड़े हैं.नीतीश कुमार अपनी पार्टी में ही कमजोर महसूस कर रहे हैं.जदयू के यादव-मुस्लिम विधायक एवं वैसे विधायक जिनके चुनाव क्षेत्र में यादव-मुस्लिम वोट निर्णायक है,सभी मजबूती से राजद के समर्थन में खड़े हैं और किसी भी कीमत पर महागठबंधन को बनाए रखना चाहते हैं.तेजस्वी यादव के इस्तीफे के मुद्दे पर नीतीश कुमार को पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह पर लड़ाई लड़नी पड़ रही है.
इधर,पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव गुट के डेढ़ दर्जन नेता खुल्लम-खुल्ला राजद के समर्थन में हैं. बिजेंद्र यादव, नरेंद्र नारायण यादव और उदय नारायण चौधरी सरीखे नेताओं ने खुलकर तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर राजद के स्टैंड का समर्थन किया है. पार्टी के अंदर विरोध को देखते हुए जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि जदयू ने अभी तक तेजस्वी का इस्तीफा नहीं मांगा है.
बिहार में उत्पन्न हालात पर भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात कर जदयू ने करोड़ों रुपये की बेनामी सम्पत्ति के मामले में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से बिंदुवार और तथ्यात्मक जवाब मांगने वाले ताबड़तोड़ बयान दिये।अब कहा जा रहा है कि न मुख्यमंत्री ने तेजस्वी यादव से इस्तीफा मांगा और न इसके लिए समय-सीमा तय की। सरकार बचाने के लिए क्या नीतीश कुमार अब इस्तीफे पर फुल टालरेंस की नीति अपना रहे हैं?