प्रमोद दत्त.
पटना.राष्ट्रपति चुनाव के मतदान के बाद नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के मुद्दे पर फैसला लेंगे.यह फैसला सख्त हो सकता है जिससे महागठबंधन के भविष्य पर असर पड़ना स्वाभाविक है.
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की पहल पर राजद ने जो फार्मूला दिया है उसपर नीतीश कुमार की सहमति नहीं है.बीच का रास्ता निकालने की कांग्रेस की सलाह पर राजद ने फार्मूला दिया कि तेजस्वी इस्तीफा दे दें और मुख्यमंत्री इस्तीफे को अस्वीकार कर दें.इस फार्मूले पर नीतीश चलते हैं तो राजनीतिक तौर पर यह आत्महत्या करना जैसा होगा,जो नीतीश नहीं चाहेंगें.
राष्ट्रपति चुनाव के कारण नीतीश कुमार ने निर्णय को तत्काल तो टाल दिया लेकिन मतदान के बाद किसी फैसले पर पहुंचना उनकी मजबूरी है.लगभग यह तय माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी को बर्खास्त करने का मूड बना लिया है.लेकिन इसके बाद की परिस्थितियों से निपटने के लिए उनकी क्या रणनीति होगी इसपर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.तेजस्वी की बर्खास्तगी के बाद अगर राजद के सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दिया और राजद ने सरकार को बाहर से समर्थन जारी रखा तो नीतीश इस परिस्थिति से कैसे निपटेगें.राजद के दबाव में सरकार चलाई जाए और महागठबंधन को जारी रखा जाए या भाजपा के ऑफर को स्वीकार कर सरकार चलाई जाए.या तीसरे विकल्प-इस्तीफा देकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी जाए.सूत्रों की माने तो तेजस्वी की बर्खास्तगी तय है लेकिन इसके बाद क्या होगा-यह पूरी तरह नीतीश कुमार के मूड पर निर्भर करता है.