प्रमोद दत्त.
लालू प्रसाद अपने स्वाभाव के अनुसार किसी कीमत पर सत्ता से दूर नहीं होना चाहेंगें.खासकर वर्तमान परिस्थितियों में,जब उनपर आफतों का पहाड़ टूटा हो.उनके करीबी सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी प्रकरण पर उन्होंने फिलहाल बैकफुट पर जाने का निर्णय ले लिया है और अपनी भावी रणनीति बनाने में जुटे हैं.
सूत्रों की माने तो तेजस्वी यादव अपने मंत्री पद से इस्तीफा देंगे.साथ ही राजद के सभी मंत्रियों से भी इस्तीफा दिलाया जाएगा ताकि यह मैसेज जाए कि पूरी पार्टी व विधायक दल तेजस्वी के साथ खड़ा है और पार्टी इस परिस्थितियों में एकजुट है. सभी मंत्रियों से इस्तीफा दिलाने के बाद नीतीश सरकार को बाहर से समर्थन जारी रखने की घोषणा की जाएगी. ताकि यह मैसेज दिया जा सके कि गठबंधन अटूट है और सरकार गिराने या गठबंधन को तोड़ने की भाजपा की साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.
इसके बाद राजद की पूरी ताकत 27 अगस्त की रैली के लिए झोंक दी जाएगी ताकि इस परिस्थितियों में भी पार्टी के पक्ष में भारी जन समर्थन दिखाया जा सके.रैली में भारी भीड़ जुटा कर लालू प्रसाद एक तीर से दो निशाना साधना चाहते हैं.अपने समर्थक जदयू के साथ साथ प्रमुख विपक्ष भाजपा को भी अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं.
प्रेक्षकों का भी मानना है कि लालू प्रसाद के सामने बैकफुट पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.सत्ता पर पकड़ बनाए रखने,नीतीश सरकार को औकात में रखने,विपक्ष का मुंह बंद करने और अपना भारी जन समर्थन दिखाने के लिए लालू प्रसाद के सामने एकमात्र विकल्प इस्तीफा का ही बचा है.कम से कम 2019 के लोकसभा चुनाव तक लालू प्रसाद के लिए महागठबंधन को बचाए रखना राजनीतिक मजबूरी है.