अंतरराष्ट्रीय मंच पर मोदी,छोटी बातें-छोटा कद

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Modi in Nederland 28 june

मुकेश महान.

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हेग में तीन हजार भारतीयों को संबोधित किया .संबोधन की प्रक्रिया भले ही स्वाभावविक हो, लेकिन संबोधन में  जिन बातों की और जिस तरह से चर्चा की गई वह मोदी के व्यक्तित्व के अनुकूल नहीं है. मोदी समर्थक भले ही कुछ भी कह लें लेकिन यह सच है कि ये पूरा संबोधन मोदी के जादुई और चमत्कारिक व्यक्तित्व का पोल खोल के रख देती है.हां ये हो सकता है कि चूक भाषण लिखने वालों से ही हुई हो या फिर ये चूक स्वयं मोदी से ही हुई हो,जो भी हो आगे से सुधार अपेक्षित है वरना इस तरह की गलतियां मोदी को देश में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी पीछे ढकेल सकती है.
दरअसल मोदी ने तीन साल की अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर हिन्दुस्तान में दाल के दाम का कम होना बताया.क्या एक प्रधानमंत्री के तौर पर  किसी के लिए दाल की कीमत कम होना या कम किया जाना उपलब्धि हो सकती है. क्या देश और दुनिया दाल की कीमत कम किये जाने के लिए मोदी को जानती है, क्या मोदी सरकार की इससे बड़ी कोई और उपलब्धि नहीं है, और अगर है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी चूक क्यों. दूसरी तरफ यहां यह चर्चा प्रासंगिक होगा कि किसी भी फसल के उत्पादन का यही गणित है कि एक साल फसल कमजोर होती है और उनकी मांग बढ जाती है तो स्वतः ही उसकी कीमत बढ जाती है. ऐसी स्थिति में अगले साल उस फसल के लिए खेत का वर्गफल स्वतः ही किसान बढ़ा देते हैं,मिहनत ज्यादा करते हैं,फसल अच्छी उगाते हैं .नतीजतन दाम स्वतः ही कम जाते हैं.इसमें सरकार या प्रधानमंत्री की कोई विशेष भूमिका नहीं होती है. लेकिन यह मान भी लिया जाए कि मोदी की भूमिका से ही दाल की कीमत कम हुई है तो भी यह उपलब्धि नहीं उनकी ड्यूटी थी. इस लिहाजन अंतरराष्ट्रीय मंच से ऐसी चीजों की चर्चा कर वो अपना जादुई व्यक्तित्व बरकरार नहीं रख सकते.
इसी तरह उन्होंने नारी सशक्तिकरण की चर्चा बहुत ही विस्तार से की लेकिन ये चर्चा कुछ इस तरह से की गई मानो ये उपलब्धि मात्र तीन साल की इनकी सरकार की है. जबकि दुनिया जानती है कि भारत में नारी सशक्तिकरण की प्रक्रिया काफी पहले से चल रही है. इस देश ने काफी पहले ही प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्षके के साथ साथ कई मुख्यमंत्री के पद पर महिला चेहरा को देखा है. बिहार में पहले ही नीतीश कुमार  महिलाओं को विशेष  आरक्षण देकर नारी सशक्तिकरण की दिशा में विशेष पहल कर चुके हैं .
इंटरनेट और गुगलके इस काल में यह सब पूरी दुनिया से छुपा नहीं है. फिर भी एक अंतरराष्ट्रीय मंच से इन सब का क्रेडिट खुद को और खुद की सरकार को देना भी बहुत न्यायोचित्त नहीं है. हां मोदी अगर इन सब को जोड़ते हुए अपनी सरकार की उपलब्धि की चर्चा करते तो जरुर भारत की गरीमा बढती. इसी तरह बिजली के क्षेत्र में भी अपनी और अपनी सरकार की उपलब्धि की चर्चा करते हुए पूर्व की 70 साल की सरकार पर भी जबरदस्त कटाक्ष किया. ऐसे कटाक्ष या आरोप-प्रत्यारोप देश के अंदर विरोधी पार्टियों पर होते ही रहते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच से इस तरह का भाषण मोदी के कद और पद  दोनों की ही गरीमा और गंभीरता को वाधित करता है. इसलिए जरुरी है कि ऐसे अवसर पर सावधानी बरती जाए. देशहित में मोदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी मजबूत  होने की जरुरत है. न कि ऐसी गलतियों से अपना कद छोटा करने की.

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सन् 1987 से पत्रकारिता, 1992 से विभिन्न अखबारों एवं चैनलों के साथ विभिन्न पदों पर कार्यानुभव. संस्थान की शुरूआत करने के लिए विशेष पहचान. डीडी मेट्रो, हमार टीवी, साधना न्यूज बिहार-झारखंड, प्रज्ञा चैनल (धार्मिक) के लिए कार्यक्रम बनाने/निर्देशन का अनुभव. ईटीवी बिहार के चर्चित कार्यक्रम ‘सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार’ का स्क्रिप्ट हेड. समसमायिक और राजनीतिक विषयों के साथ-साथ कला, संस्कृति और ज्योतिषीय विषयों पर समान अधिकार.

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