किन्नर महोत्सव के मामले में बिहार आगे

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मुकेश महान.

बिहार में दूसरा किन्नर महोत्सव का आयोजन किया गया. यह आयोजन देखना सुखद रहा .गौरतलब है कि बिहार सरकार पिछले साल से यह आयोजन करती आ रही है. उम्मीद यह भी है कि यह आगे भी होता रहेगा.कला -संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम का दावा है कि इस तरह का किन्नर महोत्सव पूरे देश ओर दुनिया में कहीं और नहीं होता. बिहार इस मायने में प्रथम राज्य बन गया.
यह बिहार के लिए गर्व की बात है कि उपेक्षित किन्नर समुदाय को सार्वजनिक रुप से सम्मान देने और किन्नर महोत्सव का आयोजन करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है.ये बातें किन्नर अखारा उज्जैन की महामडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने भी मौके पर स्वीकार की है.
बहरहाल इस आयोजन का हिस्सा बन कर या यूं कह लें कि दर्शक के तौर पर भी इस महोत्सव को देखने से लोगों के मन से क ई तरह की भ्रांतियां दूर हुईं .आम तौर पर बेचारा,लाचार, या दबंगई केसाथ पैसा वसूली करने वाले होते हैं ये किन्नर. दिल्ली जैसे बड़े शहरों में तो इसकी बानगी रोज ब रोज देखने को मिल जाती है.ऐसे में आम इंसान के मन में इन्हें लेकर सहानुभूति या भय ही उत्तपन्न होता है.लेकिन इस समारोह ने आम समाज के सामने यह साबित कर दिया कि प्रकृति प्रदप्त या स्थिति जन्य परेशानी के बावजूद  आत्मविश्वास से लबरेज उनका अपना एक अलग समाज है,उनकी अपनी एक संस्कृति है,उनके पास भी ज्ञान है, कालेज तक की पढाई है. इनकी अपनी सभ्यता है,अपना अखारा है, साथ में इनका आपना कई संगठन भी है. और इन सबसे अच्छी बात कि इनके पास लोक कला की एक समृद्ध और रियाजवद्ध परंपरा भी है. और यह सब दिखा देशभर से आए अलग अलग किन्नर समुहों की प्रस्तूति में.प्रस्तुति ऐसी कि कई कलाकारों और कला संस्थाओं को इनसे रश्क होने लगे. कुछ ऐसा ही कहा भी किन्नर अखारा की महामंडलेश्वर लक्षमी नारायण त्रिपाठी ने .उन्होंने कहा कि किन्नर होने के बावजूद आधी दुनिया मैंने घुम लिया.मैंने कई देशों में अपने देश का प्रतिनिधित्व  किया है.
वाकई लक्ष्मी जी की उपलब्धियां गर्व करने लायक है. इन्होंने संघर्ष के बाद किन्नर अखारा भी स्थापित किया है.बिहार में भी ऐसी सफलता की शुरुआत हो चुकी है .वीरा ,रेश्मा प्रसाद ऐसे ही उदाहरण हैं.प्रदेश सरकार उत्सव के साथ साथ अगर इनके लिए अवसर भी उपलब्ध करबाए तो स्थिति और बदल सकती है.

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सन् 1987 से पत्रकारिता, 1992 से विभिन्न अखबारों एवं चैनलों के साथ विभिन्न पदों पर कार्यानुभव. संस्थान की शुरूआत करने के लिए विशेष पहचान. डीडी मेट्रो, हमार टीवी, साधना न्यूज बिहार-झारखंड, प्रज्ञा चैनल (धार्मिक) के लिए कार्यक्रम बनाने/निर्देशन का अनुभव. ईटीवी बिहार के चर्चित कार्यक्रम ‘सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार’ का स्क्रिप्ट हेड. समसमायिक और राजनीतिक विषयों के साथ-साथ कला, संस्कृति और ज्योतिषीय विषयों पर समान अधिकार.

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