किसानो प्रति संवेदनहीन है नीतीश सरकार- भाजपा

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संवाददाता.पटना.बिहार के किसानो के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता तथा इस्लामपुर के पूर्व विधायक राजीव रंजन ने अपना बयान जारी कर कहा “ किसानों की स्थिति में सुधार के लिए कल नीतीश जी ने कृषि उत्पाद के लागत मूल्य पर 50 फीसदी मुनाफ़ा जोड़ समर्थन मूल्य निर्धारित करने का सुझाव दिया,लेकिन समर्थन मूल्य कितना भी कर दे और सरकार किसानो से खरीद नहीं करे तो स्थिति में सुधार कैसे संभव है?

उन्होंने कहा कि बिहार में इस वर्ष 90 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ लेकिन राज्य सरकार ने महज 18 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद की जिसके कारण किसानो को अपना उत्पाद औने पौने दामों में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर होना पड़ा. नीतीश यह बताएं कि ऐसा उनके सरकार के लापरवाही से हुआ या भाजपा का समर्थन करने के लिए किसानो से उनके बदला लेने की मंशा के कारण? 15 नवंबर से 15 जनवरी तक लक्ष्य के महज 1% धान की खरीद हुई, जबकि किसान इलाज़, शादी-ब्याह, बच्चो की पढाई-लिखाई जैसी अपनी अनिवार्य जरूरतों की पूर्ति के लिए उसी समय 900 से 1200 रुपए की दर से अपना धान बेचने को मजबूर थे. किसानो के हित को ले बड़े दावे करने वाली इस सरकार की अघोषित नीति और नीयत महज इस एक ही उदाहरण से उजागर हो जा जाती है.”

श्री रंजन ने आगे कहा “खुद को गरीबों को किसानो का हिती बताने वाले नीतीश जी यह बताएं कि वह बिहार के किसानों का कर्ज कब माफ़ कर रहे हैं? कृषि क्षेत्र तथा किसानो को अपने महत्वकांक्षी सात निश्चयों में शामिल नहीं करना ही किसानो को के प्रति इनकी बेरुखी को दर्शाता है. एक तरफ राज्य सरकार ने बिना किसी कारण के कृषि कैबिनेट को भंग कर दिया दूसरी तरफ किसानो के हित में चलने वाली केंद्र की योजनाओं पर भी इन्होने सौतेला रुख अख्तियार कर रखा है. नीतीश जी बताएं कि आखिर बिहार के गरीब किसानो की क्या गलती है? लोक सभा में बिहार ने नीतीश को महज दो सीटों पर सिमटा दिया था, जिसके बाद नीतीश जी अपनी पूर्व घोषित नीतियों तथा सिद्दांतो को ताक़ पर रख लालू की गोद में बैठ गए. आगे विस चुनाव में भी जनता ने नीतीश जी  तथा लालू से ज्यादा वोट भाजपा को दिया. भाजपा पर विश्वास करने वालों में एक बड़ी संख्या किसानो की भी है, क्या नीतीश जी इसी लिए किसानो के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं?”

नीतीश जी को निशाने पर लेते हुए श्री रंजन ने कहा “ बिना काम किए माहौल कैसे बनाते हैं, लोगों को यह नीतीश जी से सीखना चाहिए. चुनावी साल में किसानो को 300 रु बोनस देने वाले नीतीश किसानो को यह बताए की चुनाव जीतने के बाद उन्होंने किसानो को बोनस देना क्यों बंद कर दिया? फसल बीमा जैसी किसानो के हित की योजना में नीतीश जी को बीमा कंपनियों का हित दिखता है, जबकि सच्चाई यह है कि खरीफ़ 2016 के लिए इन्होने एक पैसा भी प्रीमियम नही दिया है, जिस वजह से बिहार के किसान 347 करोड़ की सहायता राशि से वंचित हो गए हैं. किसानो को बरगलाना छोड़ नीतीश जी उनके हित में काम करना शुरू कर दें, जिससे बिहार के किसान भी सही मायनों में आगे बढ़ सके”.

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