डा.मनोज कुमार.
उसकी आंखें बोझिल सी दिखती।रात दिन मेहनत किया।बगैर बे्क के खुद को तपाया।परिणाम आया तो बिहार बोर्ड के लाखों छात्रों के आंखों से आंसुओं की बारिश सी हो रही ।अब कम्पाटमेंटल का विकल्प है आया।कम समय मे कैसे करे एग्जाम कै्क अबतक बनी है पहेली।
अब समय है खुद की भूमिका की–सीखने के लिए व्यवहार मे परिवर्तन लाजिमी है। संभालना खुद को क्योंकि रास्ते पर आपको ही चलना है।
रहिए शारीरिक रुप से फिट—परीक्षा की तैयारी के लिए खुद को फिट रखना जरूरी है।ऐसा न हो बोर्ड की गलतियों को कोस कोस कर खुद की सेहत बिगाड़ लें ।किजिए शुरूआत जीत के जज्बे से और यह ओपनिंग होगी आपके व्यायाम से।शुद्ध हवा से तैयार कीजिए शरीर को अपनी आगामी परीक्षा की तैयारी के लिए।
मानसिक स्वास्थ्य पर पैनी नजर—-सीखने के लिए ध्यान व एकाग्रचित होना आवश्यक है ।मेरे पास कई लोग आ रहे।कुछ वैसे भी जो सफलता के उन्माद में तो कुछ विफलता के अवसाद मे है।मानसिक स्वास्थ्य पर विमर्श की दरकार होती है।जो प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक दे सकता है।लिजिए मदद उनकी बेहिचक।
महत्वाकांक्षी बनिए—-अगर आप मे कुछ पाने का फायर न हो तो बात बेमानी सी लगती है।सीखने कि कोशिश न होगी,तो असफलताओं का सामना होगा।अच्छा है खुद को बुलदं रखने की।आइये हम जांचते-परखते है आपकी महत्वाकांक्षाए।पहल आप करें।चिंगारी हम जला देंगे।
उपलब्धि पर विमर्श—-अपनी खूबियों से ज्यादा पाना खुशी व खूबियो से कम पाना निराशा।सामर्थ व शक्ति से उपर पाना अच्छा हो सकता है लेकिन योग्यता से कम पाना बरदाश्त नही होता।
जब मैं केवी मे था तब एक छात्रा सिम्मी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।वह योग्यता से ज्यादा पाना चाह रही थी।मेरी सहायता से वह अपनी खूबियों को पहचान सकी।आज पटना विश्वविद्यालय मे अव्वल रिज्लट से सम्मानित है।बस एक बार अपनी योग्यता को पहचानने की कोशिश कीजिए देखिए सफलता आपके कदम कैसे चुमती है।
सकारात्मक जीवन उदेश्य को करें पहचान—-बङी मुश्किल होती है सकारात्मक होना।छोटे छोटे उदेश्य को बनाना एक कला है।उसकी खासियत है की उसे पुरा कर लिया जाये।जो काम आप पुरा कर लेते है वह सकारात्मक हुआ।यह फार्मूला अपनाने की जरूरत है।इन दिनों मैं पटना के बालगूह मे मनोवैज्ञानिक की हैसियत से कार्यरत हूं ।वहां अबतक ज्यादातर निराश, हताश,तिरस्कृत व अवसादी टीनेजर थे ।मैने सिर्फ उनके लाइफ मे यह बदलाव किया कि वह सुदंर है।अब बदलाव यह है कि सभी अपनी छोटी-मोटी आदतों को रोज बदलना चाहते है।मसलन नहाना, व्यायाम,पटना,खेलकूद मे हिस्सा लेना व समाजिक कामों मे दिलचस्पी।यही तो है सकारात्मक बदलाव ।
तत्परता व इच्छाशक्ति—-आपकी तत्परता व इच्छाशक्ति आपको नित्य कठोर मेहनत बावजूद थकने व रुकने नही देती।अगर आपकी चाहत या इच्छाशक्ति बढती है तो परीक्षा की तैयारियाँ जोर शोर से होने लगती है।मत भूलिए डूबते को तिनके का भी सहारा चाहिए ।
नियंत्रण खुद पर—-परिस्थितियां चाहे जो हो अपने उपर नियंत्रण की दरकार है।आवेग मे आना खुद का नुकसान जैसा है।
अभी आप सरकार को कोस रहे।कल आपकी बारी है।राजनीति का असर विश्व के शिक्षा प्रणाली पर पड़ता है।
समायोजन कला—एक बार मेरे पटना स्थित सेंटर पर आभा व निकेश आये।दोनो बहुत परेशान थे ।एग्जाम की तैयारी के लिए दिनों काफी परेशान थे।मैने पता लगाया उनकी समस्या ।हैरान होगें आप।दरसल वह इंटर की परीक्षा नजदीक आने से घबराये थे।आभा घर की बङी बेटी थी ।इनको घर के कामकाज मे हाथ बंटाना होता।समय प्रबंध कौशल सीखाया।अब वह अपनी पढाई के साथ जिम्मेवारी को बखूबी निभा रही।निकेश भी अब बदला बदला सा है।समायोजन की कला से वह अब अपनी इंजीनियरिंग की पढाई के साथ टयुशन पढाकर आगे बढ रहा।
आप भी अपने भीतर झांक लीजिए एडजस्टमेंट की कला आपका इंतजार कर रही।सफलता की भूख बढायें।(लेखक काउसलिंग/क्लिनिकल साइकोलांजिस्ट हैं,counselling and psychotherapy centre ,patna mob.8298929114)