संवाददाता.मुजफ्फरपुर.क्षेत्रीय रेल प्रशिक्षण संस्थान के खुदीराम बोस सभागार में आयोजित चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह में वरिष्ठ प्राचार्य जफर आजम ने कहा कि महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के प्रयोग पहली बार चंपारण में ही किया। वस्तुतः गांधीजी का पूरा जीवन ही सत्य के साथ एक प्रयोग रहा । उन्होंने सत्य और अहिंसा के हथियारों से उस समय की सबसे ताकतवर ब्रिटिश व्यवस्था को पराजित किया ।
विगत 12 जून को आयोजित समारोह में वरीय मंडल वाणिज्य प्रबंधक, सोनपुर दिलीप कुमार ने कहा कि गांधीजी का रेलवे से भी काफी गहरा रिश्ता रहा है । 1917 में गांधीजी रेल मार्ग से ही मुजफ्फरपुर और मोतिहारी आए थे । उन्होंने कहा कि गांधीजी ने ग्राहकों की सेवा को सबसे महत्वपूर्ण माना था । हर रेलकर्मी को भी मानना चाहिए कि वह रेल यात्रियों पर कोई एहसान नहीं कर रहा बल्कि रेल यात्री सेवा का मौका देकर उनके ऊपर एहसान कर रहा है ।
समारोह में लोक गायिका डॉ नीतू नवगीत ने महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित अनेक लोकगीत प्रस्तुत किए । उन्होंने गांधीजी की संगीतमय कथा ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीड़ पराई जाने रे’ से प्रारंभ की । उसके बाद उन्होंने ‘दे दी हमें आजादी बिना खडग, बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल’ गाना प्रस्तुत किया ।इस गीत के बाद उन्होंने ‘अमन की प्यासी इस धरती को, दो बापू का अमन पयाम, सत्य-अहिंसा के साए में, पाएगी दुनिया आराम’ लोक गीत के माध्यम से विश्व शांति का अलख जगाया । चंपारण आंदोलन के दौरान गांधीजी के योगदान पर आधारित लोकगीत ‘सत्य का राह दिखाई दियो रे, लाठी वाले बापू ! तिनकठिया सिस्टम को तूने मिटाई दियो रे, लाठी वाले बापू’ गीत गाकर सबको मन विभोर कर दिया । इसके बाद उन्होंने रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम भजन पेश किया । समारोह में उन्होंने कुछ अन्य लोकगीत भी गाया । हारमोनियम पर प्रेमचंद लाल तबले पर रविशंकर मिश्रा और लाल पर बृजेश कुमार ने उनका साथ दिया । प्रसिद्ध गजल गायक प्रेमचंद लाल ने उसके बाद गज़लों का दौर चालू किया और हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह, चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है, किसको दिल दिया जाए सोचना जरूरी है जैसे कई ग़ज़ल गाये । डॉ नीतू नवगीत ने दूसरे दौर में मौसम आएंगे जाएंगे, रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे और छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाकर गाकर सबका मन जीत लिया।