संवाददाता.पटना.राजद प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी और परिवार के अन्य सदस्यों को करोड़ों रुपये की जमीन देने वाले नये दानवीर ललन चौधरी को बिहार की जनता देखना चाहती है। उनकी वास्तविकता को लेकर संशय है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बेनामी सम्पत्ति के इस मामले में हस्तक्षेप कर ललन चौधरी को बरामद कराना चाहिए।भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने लालू प्रसाद से पूछा है कि वे बतायें कि ललन चौधरी ने और किन-किन लोगों को अपनी करोड़ों की जमीन दान की?
मोदी के अनुसार ललन को सीवान जिले के सियारीगढ़ निवासी सुकठ चौधरी का पुत्र बताया जाता है। उसके गांव बड़हरिया में कोई उसे इंटरमीडियट काउंसिल का कर्मचारी, तो कोई लालू प्रसाद की गायों को चारा खिलाने वाला निजी कर्मचारी बताता है। कुछ ग्रामीण दावा करते हैं कि इस नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं, तो कुछ उसकी हत्या हो जाने की बात करते हैं। जिस व्यक्ति ने राबड़ी देवी को मकान सहित करोड़ों रुपये की ढाई डिस्मल जमीन गिफ्ट कर दी, उसकी हकीकत 48 घंटे बाद भी उजागर न होना कई सवाल खड़े करता है।
लाभ दिलाने के बदले जमीन लिखवाओ अभियान में लगे लालू प्रसाद के लिए अगर ललन चौधरी एक मुखौटा नहीं है, तो उसे सामने लाने में क्या कठिनाई है? वे अपनी 1000 करोड़ की बेनामी सम्पत्ति और कालाधन बचाने के लिए ही नोटबंदी का विरोध करते रहे। उनके बेटी-दामाद पर आयकर का जुर्माना लगने और पूछताछ के लिए सम्मन जारी होने के बाद तो उन्हें पता चल गया होगा कि जिन 22 ठिकानों पर छापा पड़ा था, वे कहां-कहां हैं। अब उन्हें मीडिया से पता पूछने की जरूरत नहीं पड़ेगी।