मौजूदा शिक्षा-व्यवस्था में पूंजी और टेक्नोलॉजी का हस्तक्षेप बढ़ा-राज्यपाल

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संवाददाता.पटना.‘‘आधुनिक युग में मौजूदा शिक्षा-व्यवस्था में पूंजी और टेक्नोलॉजी का हस्तक्षेप बढ़ा है, लेकिन व्यापक लोक-कल्याण के लिए निरंतर‘स्पेस’ कम होता जा रहा है। आज आवश्यकता है कि हम तकनीकी और वैज्ञानिक विकास की प्रक्रिया के दौर में भी अपने सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के प्रति सजग-सचेष्ट रहें।’’ -उक्त विचार, महामहिम राज्यपाल राम नाथ कोविन्द ने स्थानीय श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में पटना सेन्ट्रल स्कूल के ‘वार्षिकोत्सव-सह-आननदोत्सव’ को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किये।

राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति भौतिक विकास के साथ-साथ, आध्यात्मिक विकास पर भी जोर देती है। सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का सीधा मतलब यह लिया जाना चाहिए कि हमें अपनी ऐतिहासिक विरासत, भारतीय परम्पराओं और शाश्वत मानवीय मूल्यों के प्रति पूरी तरह आस्थावान रहना है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक विकास समग्र मानवीय हितों का ख्याल रखते हुए होना चाहिए।

राज्यपाल श्री कोविन्द ने कहा कि आधुनिक भारत का महान ग्रन्थ ‘‘भारतीय संविधान’’ भारतीय संस्कृति और जीवन का सर्वश्रेष्ठ मर्यादा-ग्रन्थ है। हमें इसकी ‘प्रस्तावना’ को अपने जीवन में हृदयंगम कर लेना चाहिए। इस ‘प्रस्तावना’ में ही समानता, स्वतंत्रता, शांति, न्याय एवं धर्म-निरपेक्षता आदि जिन बातों का उल्लेख है, वे हमारे जीवन के नियमन के लिए बेहद जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की ‘प्रस्तावना’ का शैक्षिक पाठ्यक्रमों में शामिल होना जरूरी है। साथ ही, सुझाव दिया कि इसपर जिस पर विद्यालयों में समय-समय पर परिचर्चा होनी चाहिए, ताकि शिक्षा-जगत् संविधान में समाहित आदर्शों को आत्मसात कर सके।

कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने आचार्य सुदर्शन लिखित पुस्तक ‘गीता -जीवन जीये कैसे -गीता कहे जैसे’ को लोकार्पित करते हुए कहा कि गीता ज्ञान और कर्म की प्रेरणा देनेवाली अनुपम कृति है। उन्होंने कहा कि जो कर्मशील होते हैं और विवेकपूर्वक अपने कार्य करते हैं, सफलता स्वतः उनके कदम चूमती है। राज्यपाल ने आचार्य सुदर्शन को उनके जन्मदिन पर बधाई देते हुए उनके सारस्वत प्रयत्नों की प्रशंसा की।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आचार्य सुदर्शन ने कहा कि आज अधिकतम इंसान तनाव भरी जिन्दगी जीने को अभिशप्त हैं। उन्होंने कहा कि आज ऐसी शिक्षा विद्यार्थियों को दी जानी चाहिए, जो जीवन का वास्तविक आनंद प्रदान करे। कार्यक्रम में पटना सेन्ट्रल स्कूल के उपाध्यक्ष बी॰के॰ सुदर्शन ने स्वागत-भाषण किया, जबकि प्राचार्य एस॰पी॰ सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

 

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