हिमांशु शेखर.रांची.सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन सहित सरकार की अन्य नीतियों के विरोध में 29 मई को माओवादी बंदी का राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में खासा प्रभाव रहा। रेलवे की सम्पत्ति को भी नक्सलियों ने नुकसान पहुंचाया। धमाके कर पटरियां उड़ा दी गयीं।
बंद के कारण लंबी दूरी की गाड़ियों के पहिए थम गये। यात्री बसों का परिचालन पूरी तरह ठप रहा। दूरदराज के पेट्रोल पम्पो में ताले लटके दिखे। इस वजह से उन क्षेत्रों में पेट्रोल की कालाबाजारी भी धड़ल्ले से हुई। 90 से 109 रुपये प्रति लीटर की दर से निजी लोगों ने सड़क किनारे पेट्रोल की बिक्री की। इस दौरान पेट्रोल में कैरोसीन तेल की मिलावट भी की गयी। माओवादी बंदी का राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों यथा गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, गिरिडीह, खूँटी, लातेहार, पलामू, चतरा, हजारीबाग, बोकारो जिले में प्रभाव दिखा। माइंस क्षेत्रों में चलने वाले ट्रकों के पहिये रूक गये। उत्खनन का कार्य पूरी तरह से बंद हो गया। रोज कमाने खाने वाले दिहाड़ी बंदी की वजह से परेशान रहे। उन्हें आज काम नहीं मिला। अलग-अलग जिले के प्रशासन की ओर से एहतियात के तौर पर प्रत्येक चैक-चैराहों में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार बोकारो जिले के ग्रामीण इलाकों में नक्सली बंद की वजह से कई बैंक शाखाएं नहीं खुलीं। खलारी में भी माओवादियों बंद की वजह से कोयला ढुलाई रात से ही ठप था। लंबी दूरी के वाहनों का परिचालन पूरी तरह बंद रहा। वही अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे। बंदी को देखते हुए खलारी तथा मैकलुसकीगंज में पुलिस की गश्त करती रही।
गिरिडीह में नक्सलियो ने सड़क निर्माण में लगे पोकलेन सहित डीजल पम्प को आग के हवाले कर दिया, घटना बिरनी थाना क्षेत्र के गहरगोरा गांव की है। दर्जनो महिला और पुरुष नक्सलियों ने मिलकर घटना को अंजाम दिया।देर रात नक्सलियों ने धनबाद रेल मंडल अंतर्गत चिचाकी और कर्माबांध स्टेशन के बीच नक्सलियों ने रेल ट्रैक विस्फोट कर उड़ा दिया। हादसे में दून एक्सप्रेस बाल बाल बची है. क्योंकि घटना से थोड़ी देर बाद दी गुजरने वाली थी.हादसे के बाद रात दो बजे से धनबाद गया रूट पर रेल परिचालन ठप है। वहीं घटना स्थाल पर डीआरएम, आरपीएफ कामांडेंट दल बल के साथ सोमवार की तड़के पहुंच गए हैं। नक्सलियों द्वारा विस्फोट स्थल पर अपनी मांगों से संबंधित पोस्टर भी लगाये गये हैं।