प्रभाषचन्द्र शर्मा.पटना.राज्य और देश के चुनाव आयोग के निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव संचालन का डंका भले ही पूरी दुनिया में बज रहा हो लेकिन पटना नगर निगम के कई मतदाता इससे इत्तिफाक नहीं रखते हैं। मतदाता सूची से नाम गायब हो जाने की शिकायत करने वाले शक्ति कुमार बताते हैं कि पुरे मामले की शिकायत देश के उच्चतम न्यायालय, राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत, राज्य चुनाव आयोग, मुख्यमंत्री, बिहार समेत अन्य सभी सम्बंधित अधिकारियों से की गयी है लेकिन अभी तक ना ही कोई कारवाई की गयी है और ना ही कोई आश्वासन दिया गया है।
पटना के वार्ड नंबर 23 के मतदाता शक्ति कुमार का कहना है कि एक तरफ उच्चतम उच्चतम न्यायालय लोगों को यह कहकर फटकार लगाती है कि जनता जब चुनाव में मतदान ही नहीं करती है तो उन्हें अपनी मांग और बातों को रखने का कोई अधिकार नहीं है इसके विपरीत शक्ति कुमार कहते हैं कि वह और उनका परिवार वार्ड संख्या-23 में कई पुस्तों से नगर निगम समेत अन्य चुनावों में सपरिवार मतदान करते आ रहे थे लेकिन 2017 में होने वाले नगर निगम के चुनावी वोटर लिस्ट से परिसीमन के विपरीत उनकी माँ का नाम छोड़कर परिवार के दर्ज़न भर सदस्यों का नाम हटा दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप वह और उनका पूरा परिवार आगामी चुनाव में मतदान करने से वंचित रह जाएगा ।
शक्ति कुमार आगे यह भी बताते हैं कि उनकी अधिकृत जानकारी में एक महिला का नाम भी नाम बिना उनकी जानकारी के हटा दिया गया है जबकि वह महिला स्वयं नगर निगम चुनावी प्रक्रिया में रिवाइजिंग अथॉरिटी है। शक्ति कुमार अपने प्रजातंत्र घोटाला के आरोप के समर्थन में यह भी बताते हैं कि वार्ड संख्या 23 के नवीनतम परिसीमन के विपरीत वैसे व्यक्ति के परिवार के तमाम सदस्यों का नाम हटा दिया गया है जो बिहार विधान परिषद् के सभापति रह चुके हैं । इसी वार्ड के मतदाता चितरंजन कुमार बताते हैं कि इस चुनाव में उनकी मर्जी से वार्ड संख्या 23 के परिसीमन में स्थित पुस्तैनी घर होने के वावजूद उन्हें दुसरे वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया है जो इस बात को दर्शाता है कि मतदाता के लिए नगर निगम चुनाव का कोई महत्व नहीं रह गया है।