सुधीर मधुकर.पटना. तकनीकी विश्वविद्यालय डेल्फ्ट नीदरलैण्ड के डा॰ रीक डानसेलर ने कहा कि प्रकृति के सामने तो मानव मजबूर है। भू-तल के जल को आर्सेनिक मुक्त तो नहीं किया जा सकता किन्तु, जहां-जहां भू-तल जल में आर्सेनिक है उसके उपयोग से मनुष्य बचे इसका पता लगाकर जन-जीवन को जागरूक किया जा सकता है। कोशिश यह होनी चाहिए शुद्ध पेय-जल मनुष्य को उपलब्ध हो सके। इस दिशा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का घर-घर नल जल योजना सराहनीय कदम है।
उन्होने कहा कि मानव जीवन की रक्षा के लिये आर्सेनिक रहित पेयजल अति आवश्यक है। शनिवार को महावीर कैंसर संस्थान में आयोजित एक प्रेस वार्ता मेंडा रीक मुख्य विशेषज्ञ के तौर पर अपना विचार रख रहे थे। यूके की डा॰ मैग्स ऐडम्स, ने आर्सेनिक युक्त जल से होनेवाली बीमारियों के बारे मे विस्तृत जानकारी देते हुये बताया कि आर्सेनिक युक्त जल से जान लेवा बीमारी हो सकती है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा।
प्रो॰ डा घोष ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने जो इस क्षेत्र में “घर-घर नल जल” योजना चलायी है वह मानव को शुद्ध जल पहुंचाने के क्षेत्र में एक अहम भूमिका का निर्ववहन करेगी। शहरी क्षेत्र से अधिर्क देहाती क्षेत्रों मे शुद्ध पेय जल पहूंचना चुनौती पूर्ण काम है। प्रो घोष ने कहा कि गंगा नदी के पानी मे आर्सेनिक नही है।बल्कि गंगा के दोनो ओर आठ दस किलोमीटर तक आर्सेनिक युक्त जल मिल रहा है।
डा॰ डानसेलर और डा॰ मैग्स ऐडम्स की शोध टीम ने पहले चरण में भोजपुर आरा के बखोरापुर को अपने शोध क्षेत्र के लिये चुना है। अभी इनका दल वहां स्थायी रूप से रह कर शोध कार्य में लगा रहेगा। आर्सेनिक के कारण मानव जीवन बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहा है जिससे गम्भीर बीमारियां होते देखा जा रहा है।
संस्थान के निदेशक डा विश्वाजीत संयाल ने कहा कि भारत के गंगा, ब्रहमपुत्र और बंगलादेश के मेघना नदी के मैदानी क्षेत्रों में आर्सेनिक की समस्या अति गम्भीर है। जिससे न केवल मनुष्य प्रभावित है बल्कि फल, सब्जिया और कृषि उत्पाद भी प्रभावित होते देखा जा रहा है।उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट एक अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है जिस पर भारत सरकार का डी.एस.टी., डच विश्वविद्यालय, सेल्फोर्ड विश्वविद्यालय, यू॰ के॰ का डेल्फ्ट शोध पर खर्च वहन कर रही है जिसपर महावीर कैंसर संस्थान, पटना का ए॰ एन॰ कॉलेज साथ-साथ काम कर रहा है। इस मौकेपर प्रिवेंटिव आन्कोलॉजी प्रमुख मगन देव नारायण सिंह भी मौजुद थे।