डॉ नीतू नवगीत.
जब सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ चल रही हो तो सेना के खिलाफ प्रदर्शन के लिए सड़कों पर आने वाले लोग यदि आतंकवादी ना भी हों, तो देशभक्त तो नहीं ही हो सकते । ऐसे में जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य का वक्तव्य कि सैन्य ऑपरेशन के दौरान आतंकी टारगेट पर होते हैं और ऐसे नाजुक समय में प्रदर्शन के लिए सड़कों पर आने वाले लोगों को भी नुकसान हो सकता है, एक समझदारी वाला वक्तव्य है । वस्तुतः कश्मीर की आजादी के नाम पर पाकिस्तान के नापाक इरादों की कठपुतली बन चुके कश्मीरी आतंकवादियों के साथ किसी प्रकार की हमदर्दी रखना व्यर्थ है । लेकिन धर्म और क्षेत्र के नाम पर दिग्भ्रमित हो चुके नेताओं के बनाए जाल में कश्मीरी युवा फंसते रहते हैं । नाजुक मौकों पर प्रदर्शन करने से सुरक्षाबलों को अपने ऑपरेशन में परेशानी होती है । कई बार सैन्य ऑपरेशन के समय ये दिग्भ्रमित युवा सैनिकों और पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी भी करते पकड़े गए हैं । जिससे समस्या और गंभीर हो जाती है । कश्मीर में निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन के इस्तेमाल की निंदा की जानी चाहिए । लेकिन यदि भीड़ आंसू गैस और रबर की गोलियों के प्रयोग के बाद भी पत्थरबाजी करती रहे तो सैनिकों को भी अपने जान की रक्षा के लिए कुछ न कुछ तो करना ही होगा । बात-बेबात कश्मीरी युवकों द्वारा की जाने वाली पत्थरबाजी की निंदा हर स्तर पर की जानी चाहिए और कानून के दायरे में उनके साथ सख्ती से निपटा जाना चाहिए । सेना प्रमुख ने भी बयान जारी कर यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकियों को मुठभेड़ से भगाने में मदद करने वाले भी आतंकियों के मददगार के तौर पर गिने जाएंगे । निश्चित तौर पर उनका बयान सैनिकों के उत्साह को बढ़ाने वाला है । सरकार द्वारा कश्मीर की समस्या के समाधान और उस क्षेत्र के तेज विकास के लिए सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं । दो दिनों बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू को कश्मीर से जोड़ने वाली चिन्नैनी- नाशरी सुरंग का उद्घाटन भी करने वाले हैं जिससे श्रीनगर का सफर दो घंटे कम का हो जाएगा । विकास की कई दूसरी योजनाएं भी लागू की जा रही हैं । जरूरत इस बात की है कि कश्मीर के अलगाववादी नेता भी पाकिस्तान के इशारों पर नाचना बंद करें और कश्मीर में शांति व्यवस्था की स्थापना के लिए भारतीय संविधान के दायरे में बातचीत करें । इसी मार्ग पर चलने से कश्मीरी युवाओं के लिए विकास के नए द्वार भी खुलेंगे ।