संवाददाता.पटना/ नईदिल्ली/ राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) और एएमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा शुरू किए गए एक नए सर्टिफिकेट कोर्स के तहत बिहार में 4000 से ज्यादा सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारी अगले तीन महीनों में मानवअधिकारों से सम्बंधित प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
‘स्व-शिक्षण मानवअधिकार प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम’ का उद्देश्य सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से आम जनता के बीच मानवअधिकारों के मूल्यों और समानता, गरिमा, सम्मिलन, गैर-भेदभाव और सहभागिता के सिद्धांतों को बढ़ावा देना है।
सभी महत्वपूर्ण हितधारकों के लिए एनआईओएस के पटना क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित कार्यशाला में एनआईओएस के अकादमी के निदेशक, डॉ राजेश कुमार ने कहा, “यह हमारे लिए ख़ुशी की बात है कि यह आत्म-शिक्षण आधारित मानवाधिकार पाठ्यक्रम एक पायलट परियोजना के रूप में पेश किया जारहा है। कानून और अन्य प्रावधानों की सही जानकारी के ज़रिये जनता का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। सम्मान, गरिमा और नागरिक जिम्मेदारी की संस्कृति का निर्माण करना महत्वपूर्ण है, और यह पाठ्यक्रम शिक्षार्थियों को खुद को और अपने आसपास के अन्य लोगों को सशक्त बनाने का अवसर प्रदान करता है, ताकि मानवअधिकारों के दुरुपयोग की रोकथाम और उनका निर्विघ्ऩ निवारण संभव हो सके।”
“सरल भाषा में मानवाधिकारों के बारे में एक व्यापक पाठ्यक्रम उपलब्ध करने के ज़रिये हम उम्मीद करते हैं कि शिक्षार्थियों को मानवअधिकारों एवं भारत के संविधान, कानून सहिंता और सरकारी नीतियों में मौजूद प्रासंगिक प्रावधानों के बारे में जानकारी मिलेगी और उसमें महिलाओं और बच्चों से सम्बंधित मानवाधिकारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा,” सोम्याडिमरी, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के मानवाधिकार शिक्षा कार्यक्रम की कार्यक्रम समन्वयक ने कहा।
उन्होंने यह भी कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि इस पाठ्यक्रम में हिस्सा लेनेवाले कार्यकर्ता अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति सशक्त और जागरूक होंगे और साथ ही साथ अपने आसपास के अधिकार-आधारित मुद्दों के प्रति और भी अधिक सजग रहेंगे”।
इस त्रैमासिक कोर्स की रूप-रेखा स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को ध्यान में रखके रची गयी है जिनमें ग्रामीण और शहरी बिहार में कार्यरत आशा कार्यकर्ता , आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, ममता कार्यकर्ता (सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी) एवं निजी क्षेत्र में कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी शामिल हैं।पाठ्यक्रम का उद्देश्य शिक्षार्थियों को विभिन्न मानवाधिकार सम्बंधित मुद्दों और उनके उल्लंघनों के बारे में जानने में मदद करना है।
यह पाठ्यक्रम कानून संहिता में उपलब्ध अधिकारों और निवारण के उपायों का भी विवरण देता है।उम्मीद की जा रही है कि पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद कार्यकर्ता सामुदायिक स्तर के मानवाधिकारों के मुद्दों पर काम करेंगे और स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियानों का संचालन करेंगे। अंततः इस सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम को बिहार में 1625 महिलाओं और 2375 पुरुषों तक पहुँचाया जाएगा।
एनआईओएस के क्षेत्रीय निदेशक संजय के. सिन्हा ने कहा, “बिहार में सभी 38 जिलों के प्रतिभागियों को यह पाठ्यक्रम मुफ्त में मुहैया कराया गया है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि प्रतिभागियों में कम से कम 40% महिलाएं हों। 25 मुख्यप्रशिक्षक 4000 से अधिक शिक्षार्थियों के साथ व्यक्तिगत सत्र पर भी बात करेंगे जिसके दौरान शिक्षार्थियों को पाठ्यक्रम सामग्री और कार्यक्रम के कार्यान्वयन के बारे में किसी भी संदेह को स्पष्ट करने का मौका मिलेगा।”