बकौल वार्ड पार्षद के भावी उम्मीदवार,अपार्टमेंट में रहने वाले होते हैं डरपोक

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प्रभाष चन्द्र शर्मा.पटना.चौंकिए या शर्माइये मत क्योंकि ऐसा दावा कर रहे हैं बीस की श्रेणी वाले अधिकतर वार्डों के बाहुबली व आपराधिक छवि के भावी उम्मीदवार।उनकी 2017 की आगामी पटना नगर निगम चुनाव जीतने की रणनीति कुछ इस प्रकार है कि वे अपने विरोधियों, शिक्षित, बुद्धिजीवी, योग्य भावी उम्मीदवारों को डरा-धमाका कर वार्ड पार्षद के चुनाव से अलग रहने का प्रतिदिन फरमान जारी कर रहे हैं. इनकी धमकी से नहीं डरने वाले उम्मीदवारों की अघोषित नाकाबंदी कर चुनाव प्रचार से रोका जा रहा है.

इतना ही नहीं बल्कि उनको व उनके सहयोगियों को चुनाव प्रचार के क्रम में हमले की धमकी दी जा रही है और अगर इन सब से भी उम्मीदवार नहीं डरे तो शिक्षित, निरापराधिक एवं बुद्धिजीवी एवं योग्य उम्मीदवारों के अपार्टमेंट में रहने वाले सभी, शिक्षित, और बुद्धिजीवी मतदाताओं को मतदान के दिन अपार्टमेंट से नहीं निकलने देने की मंशा से मतदान के दिन या एक दो दिनों पूर्व अपार्टमेंट की आबादी वाले इलाकों में बाइकर गैंग द्वारा भय का माहौल कायम करना, आतंकित करना और बम विस्फोट करने जैसी वारदात को अंजाम देने की तैयारी में हैं.इनमें से एक पीड़ित वार्ड संख्या तेईस के भावी उम्मीदवार प्रवीण कुमार झा भी हैं।आपराधिक छवि के उम्मीदवारों का स्पष्ट मानना है कि अपार्टमेंट में रहने वाले मतदाताओं को उक्त तरीकों से आतंकित कर वार्ड पार्षद का चुनाव आसानी से जीता जा सकता है क्योंकि भय का माहौल पैदा करने के लिए उक्त आपराधिक वारदातों पर पुलिस-प्रशासन के द्वारा कारवाई करने तक कथित उम्मीदवार गलत तरीके से चुनाव जीतने की अपनी नापाक मंशा में सफल हो जाते हैं ।
कुछ अपार्टमेंट के लोग दबी जुबान में ऐसी वारदातों से आतंकित होने की बात स्वीकारते भी है. साथ हीं यह भी कहते हैं कि चुनाव आयोग और पुलिस प्रशासन के पास आपराधिक उम्मीदवारों को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करने, चुनाव प्रक्रिया से दूर रखने और तड़ीपार करने तक का स्पष्ट प्रावधान है. किन्तु चुनाव आयोग एवं पुलिस-प्रशासन के शिथिल, उदासीन और पक्षपात रवैये से आपराधिक उम्मीदवारों द्वारा चुनावी लोकतंत्र का गला घोंटा जाता है व इसे अपमानित किया जाता है । तारकेश्वर पथ, पूर्वी बोरिंग कैनाल रोड, पटना के अपार्टमेंट में रहने वाले मतदाता शम्भू मिश्रा बताते हैं कि चुनाव आयोग और प्रशासन अपार्टमेंट में हीं मतदान कराने की व्यवस्था करे या आपराधिक उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को देखते हुए उनको चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करे और तड़ीपार करने जैसा कदम उठाये अन्यथा हमारे भय को चुनाव का बहिष्कार माना जाए।

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