नीतीश ने कहा,गंगा नदी की अविरलता के लिये बने वातावरण

872
0
SHARE

04

निशिकांत सिंह.पटना.मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद सभाकक्ष में आज लोक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आज के कार्यक्रम में स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण, पिछड़ा वर्ग एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, श्रम संसाधन, ग्रामीण विकास (जीविका), कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, कला संस्कृति, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण, योजना एवं विकास तथा पर्यावरण एवं वन विभाग से संबंधित मामलों पर 10 लोगों द्वारा मुख्यमंत्री को अपना सुझाव दिया गया।

कार्यक्रम में पटना के मोहम्मद अमीरउल हक, सहरसा के कपिलदेव राम, पटना के मोहम्मद शाहिद अखलाक, सीतामढ़ी के शिवशंकर भगत, पटना के सैयद जावेद हसन, समस्तीपुर के मनीष कुमार सुमन, पूर्णिया के डॉ0 मोहम्मद परवेज शाहिन, नालंदा के शशिकांत, मोतिहारी के ब्रजमोहन कुमार, मुंगेर के अजीत कुमार ने अपने-अपने सुझाव एवं राय मुख्यमंत्री को दिया। प्राप्त सुझाव एवं राय पर संबंधित विभाग के प्रधान सचिव व सचिव ने वस्तुस्थिति को स्पष्ट किया।लोगों से प्राप्त सुझाव एवं राय पर मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों के प्रधान सचिव-सचिव को कार्रवाई करने हेतु निर्देशित किया। मुख्यमंत्री ने कुछ सुझावों को बहुत अच्छा सुझाव माना और उन सुझावों को ग्रहण करने के संबंध में कार्रवाई का भी निर्देश दिया।

लोक संवाद कार्यक्रम में योजना एंव विकास मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री अवधेश कुमार सिंह, ग्रामीण विकास श्रवण कुमार, समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफ्फूर, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, प्रधान सचिव मंत्रिमण्डल समन्वय ब्रजेश मेहरोत्रा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिवचंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा सहित संबंधित विभागों के प्रधान सचिव-सचिव उपस्थित थे।

आयोजित लोक संवाद कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री ने मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा मुख्यमंत्री के पंजाब भ्रमण के संबंध में पूछे गये प्रश्न का उतर देते हुये कहा कि प्रकाश पर्व के दौरान बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल आये हुये थे। पर्यावरण के क्षेत्र में उन्होंने काम किया है। वहॉ एक काली बेन नदी है, जो 160 किलोमीटर लंबी है, उसका उन्होंने जीर्णोद्धार किया है। उसका जलप्रवाह बंद हो गया था, कचरों से भरा हुआ था। उसकी उन्होंने सफाई की और इसके अलावे एक खास बात थी कि गॉव के अंदर का जो सीवरेज का पानी है, उस पानी को एक जगह इकट्ठा करके उसको नेचुरल ट्रीटमेंट के बाद उसका इस्तेमाल सिंचाई के कार्य में वह करवा रहे हैं। यह मेरे लिये एक महत्वपूर्ण बात थी इसलिये कि हम सात निश्चय के तहत एक-एक गॉव में गली निर्माण के साथ नाली का भी निर्माण करवा रहे हैं। उसमें एक समस्या यह आयेगी कि गॉव की नालियों का पानी कहॉ जमा हो और उसका कैसे ट्रीटमेंट किया जाय। उनसे बातचीत के क्रम में यह बात मेरी जानकारी में आयी तो उन्होंने कहा कि आप उसे देख सकते हैं। हमने कहा था कि हम जरूर आयेंगे लेकिन प्रकाश पर्व के तुरंत बाद पंजाब का चुनाव आ गया। जब चुनाव खत्म हुआ तो हम अधिकारियों के साथ वहॉ गये, हमारे साथ जल संसाधन विभाग के मंत्री, मुख्य सचिव और जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव, नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव, ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव इन सबलोगों के साथ हम वहॉ गये और हमने देखा कि किस तरह उन्होंने अपने गॉव सीचेवाल में हर घर से अंडरग्राउंड नाली बना करके सीवरेज के पानी को एक तालाबनुमा गड्ढ़े में जमा किया और फिर ट्यूब वेल के जरिये वह पानी लौटकर तालाब में आता है और पम्पआउट करके उस पानी का इस्तेमाल खेतों में किया जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जो काली बेन नदी है उसकी पंजाब में बहुत महत्ता है। पंजाब के लोगों की आस्था इस नदी से जुड़ी हुयी है। कहा जाता है कि श्री गुरूनानक देव जी ने वहॉ 14 साल तक तपस्या किये थे और एक दिन उन्होंने इस नदी में डुबकी लगायी तो तीन दिन के बाद उस नदी में तीन किलोमीटर आगे प्रकट हुये और उस समय उनके मुंह से जो वाणी निकली, वही पहली गुरू वाणी है इसलिये पंजाब में काली बेन नदी का बहुत महत्व है। यह नदी पंजाब के सुलतानपुर लोधी में है, जिसका बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल ने जीर्णोद्धार किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना में जल संसाधन विभाग द्वारा 25 एवं 26 फरवरी को दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर के कार्यशाला का आयोजन कि गया है, जिसमें हमने बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल को भी बुलाया है। इसके अलावे राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के विशेषज्ञों को भी उसमें आमंत्रित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों के लिये यह चिंता का विषय है कि गंगा में सिल्ट डिपोजिट बढ़ता जा रहा है। गंगा नदी की गहराई घटती जा रही है। जिस तरह से इस बार बाढ़ आया है, इसी तरह से आने वाले वर्षों में भी बाढ़ आने का खतरा बना रहेगा। यह सारी समस्यायें फरक्का बराज के चलते हो रही हैं। जबसे माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी बना है और गंगा नदी के तटवर्ती राज्यों के मुख्यमंत्री उसके सदस्य बनाये गये हैं, हमने आरंभ से ही गंगा नदी के बारे में केन्द्र सरकार के समक्ष प्रश्न को उठाया है। इस वर्ष जब बाढ़ आयी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फोन आया, बाढ़ की स्थिति के बारे में जानकारी के लिये तो हमने उन्हें बताया कि स्थिति बहुत खराब है। अगले दिन उनसे मिलकर इसकी विस्तृत रूप से जानकारी उन्हें दी और कहा कि बाढ़ के कारणों का केन्द्र के द्वारा अध्ययन कराया जाना चाहिये। केन्द्र सरकार द्वारा इसके लिये कमिटी का गठन किया, जिसमें राज्य सरकार ने अपना मत रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जितने विशेषज्ञ हैं, उनमें से अधिकांश लोगों ने हमलोगों की बातों का समर्थन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलागों ने इन सभी विषयों पर अपना विरोध प्रकट किया है। हमने केन्द्र सरकार और आमलोगों के समक्ष भी अपनी बात रखी है। गंगा नदी की अविरलता के लिये जो कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, उसमें भी विशेषज्ञ गंगा नदी की अविरलता को बनाये रखने के लिये अपने सुझाव देंगे। उन्होंने कहा कि गंगा नदी की अविरलता को बनाये रखने के लिये वातावरण बनना चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस समय पवन बंसल केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री थे उस समय भी हमने उन्हें दिखाया दिया था कि गंगा नदी में किस तरह से सिल्ट डिपॉजिट बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से हमने मुख्यमंत्री के रूप में बिहार का कार्यभार संभाला है, तब से इस मुद्दे को मेरे द्वारा समय-सयम पर उठाया जाता रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी रोक थाम के लिये कोई रास्ता निकालना होगा। उन्होंने कहा कि गंगा अविरल रहेगी तभी सवच्छ रहेगी। निर्मलता के लिये अविरलता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अविरलता का अर्थ प्राकृतिक और स्वभाविक प्रवाह होता है।

LEAVE A REPLY