सुधीर मधुकर.पटना. हर हाल में रेलगाड़ियों के सुरक्षित परिचालन हो इस के लिए रेलमंत्रालय के दिशानिर्देश पर खासकर संरक्षा से जुड़े लोको पायलोटों और उनकी पत्नियों की समस्याओं को जानने के लिए भारतीय रेल के सभी मंडलों में संरक्षा सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है|इस आलोक में दानापुर डीआरएम कार्यालय के सभागार में आयोजित“रनिंग परिवार संरक्षा संवाद” कार्यक्रम में लोको पायलटों की पत्नियों ने रेलवे अधिकारीयों के सामने समस्याओं की झड़ी लगा दी |
ड्यूटी ऑफ़ के बाद 16 घंटा से पहले फिर से ड्यूटी के लिए कॉल कर लिया जाता है | कभी-कभी तो जब हम अपने पति के साथ बाजार या और कहीं जाते हैं या फिर घर में ही पारिवारिक माहौल में साथ-साथ थोड़ा ख़ुशी और आनंद बाँटने का समय मिलता है तो उसी वक्त उनका ड्यूटी के लिए शौतन बन कर कॉल आ जाता है| उस समय उसे तनावों के बीच ड्यूटी जाना पड़ता सब कुछ छोड़ कर| पूजा-त्यौहार की बात तो दूर पत्नी,बच्चों के साथ-साथ अन्य परिजनों के बीमार पड़ने पर भी छुट्टी नहीं मिलती है | 36 से 70 घंटा के बाद घर वापस आते हैं | 16घंटा के बाद भी रिलीफ नहीं मिलता है | रनिंग रूम में सुविधाओं का घोर आभाव है | खास कर फतुहा रनिंग रूम में सुविधा नदारत है,खाना भी नहीं मिलता है | बराबर बाहर का खाना खाने से बीमार पर रहे हैं | जबकि रेलवे ही स्पाईसी और बाहर का खाना खाने लिये मना करते हैं | फतुहा में कुछ भी ठीक नहीं होने के बाबजूद वहाँ रहने को मजबूर करने से मानसिक तनाव में काम करना पड़ता है | ओवर टाईम ड्यूटी तो कराया जा रहा है,पर इस का ओटी नहीं मिलता है | यह बातें लोको पायलट प्रमोद की पत्नी रजनी देवी, एसएस शर्मा की पत्नी सोनी देवी,राकेश की पत्नी स्नेहलता,पूजा कुमारी सहित करीब 50 से अधिक लोको पायलटों की पत्नियों ने रेलवे अधिकारियों समस्याएं रखी | कई तो भावुकता में घर की समस्याएं सुनाती-सुनाती रोने भी लगी | बाबजूद अधिकांश पत्नियों ने वर्तमान विभाग के सम्बंधित अधिकारी सीनियर मंडल बिधुत अभियंता ( टीआरएस ) राजेश कुमार, मंडल अभियंता तापस दास,सीसीसी शशिधर प्रसाद और सीएलआई डीएन तिवारी एवं आरके सिंह से मिली सहानभुतियों और सहयोग की प्रशंसा की। कहा कि समस्याओं को सुन कर निदान कराने का प्रयास भी करते हैं | इस मौके पर रेलवे अधिकारी राजेश कुमार,तपास दास,शशिधर और डीएन तिवारी ने आदि ने अपने-अपने संबोधन में कहा कि एक लोको पायलोट और उसी पत्नियों का रेल कार्य में बहुत बड़ा योगदान है और सहयोग करती भी है| एक लोको पायलोट पर स्वयं,अपने परिवार और बच्चों के साथ-साथ ट्रेन में सवार हजारों यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रहती है| इसलिए हमेशा ध्यान रहे की इनके ड्यूटी से पहले घर में पूरा बिश्राम मिले और तनाव मुक्त जीवन हो| रेलप्रशासन अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों की समस्याओं के निदान में तत्परता से काम करती है और करेगी भी | इस दौरान दो लोको पायलोट परिवारों की समस्यओं पर आधारित एक फिल्म भी दिखाई गयी ताकि एक लोको पायलोट का जीवन कैसा होना चाहिए और उसकी पत्नी और परिजनों को उस के साथ किस तरह का जीवन में सहयोग करना चाहिए इसमें दिखाया गया है |