संवाददाता.पटना.लालू यादव के कार्यकाल के चारा घोटाले के बाद पशु व मत्स्य संसाधन विभाग का भट्ठा बैठ चुका था जिसे एनडीए के शासनकाल में बड़ी मुश्किल से पटरी पर लाया गया, मगर पिछले तीन साल से यह विभाग फिर मरनासन्न हो गया है। 2012-13 में एनडीए की सरकार के दौरान इस विभाग का योजना व्यय जहां 322 करोड़ था वहीं लगातार घट कर पिछले साल 91 करोड़ यानी एक चौथाई रह गया।इसी का परिणाम है कि कृषि रोड मैप (2012-17)के अंतिम वर्ष की समाप्ति के मात्र डेढ़ महीने बचे होने के बावजूद पशुपालन व मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन सहित अन्य लक्ष्यों को हासिल करने में सरकार फिसड्डी रह गई है।
यह आरोप है भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का.उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बाद मिठाई व दूध की बिक्री बढ़ने के मुख्यमंत्री के दावों के बावजूद प्रतिदिन 44 लाख किलोग्राम की जगह मात्र 17 लाख किलोग्राम दुग्ध का संग्रहण व 66 लाख किलो लीटर की जगह मात्र 25 लाख किलो लीटर दूध की प्रोसेसिंग क्यों हो रही है? प्रतिवर्ष 27 लाख मुर्गियां, 10 लाख बकरियां व 45 हजार परिवारों को बकरा देने की योजना पिछले तीन वर्षों से बंद है। 50 लाख की जगह इस साल 20 लाख पशुओं का भी कृत्रिम गर्भाधान नहीं कराया जा सका है।
उन्होंने कहा कि पांच साल में मत्स्य बीज उत्पादन के लिए 260 की जगह मात्र 74 हेचरी तथा 10 हजार हेक्टेयर की जगह मात्र 573 हेक्टेयर तलाबों का ही जीर्णोद्धार हो पाया। 65 हजार मत्स्य कृषकों की जगह एक तिहाई को भी प्रशिक्षित नहीं किया जा सका। प्रतिवर्ष 21 करोड़ अंडा उत्पादन का 5 प्रतिशत जबकि 8.6 लाख मे.टन मछली उत्पादन का आधा लक्ष्य भी हासिल नहीं हो सका है। दूघ व मछली उत्पादन, पशुओं के नस्ल व सेहत सुधार आदि सभी मोर्चे पर विभाग फेल रहा है। कृषि रोड मैप को भूल चुके मुख्यमंत्री ने तो पिछले एक साल में विभाग की समीक्षा भी नहीं की है।