रिंकू.पटना.बिहार का चर्चित टॉपर घोटाला की जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि बीएसएससी पेपर लीक घोटाला सामने आ गया.टॉपर घोटाला परीक्षा में अच्छे मार्क्स के लिए हो रहे थे तो बीएसएससी परीक्षा में घोटाला नौकरी के लिए.पेपर लीक घोटाला में गिरफ्तार बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम ने तो खुद को छोटा मोहरा बताते हुए पूछताछ में कई बड़े लोगों के नाम का खुलासा किया है.यह माना जा रहा है कि जांच जैसे-जैसे आगे बढेगी कई चौकाने वाले नाम सामने आऐंगें.फिलहाल हर दिन गिरफ्तारी जारी है.कहते हैं,50 करोड़ में हुआ था बीएसएससी परीक्षा के पेपर लीक करने का सौदा.परीक्षा पास कराने के लिए एक-एक परीक्षार्थी से लिए गए थे पांच से छ: लाख रुपए.
गौरतलब है कि बीएसएससी की परीक्षा के पेपर लीक का मामला उजागर होने के बाद इसकी जांच की जा रही है और नए-नए खुलासे हो रहे हैं..इसी क्रम में गुरूवारको एसआइटी के हत्थे चढ़े एवीएन स्कूल के निदेशक सह संचालक रामाशीष सिंह समेत छह लोगों ने बीएसएससी की परीक्षा के पेपर लीक करने में अलग-अलग भूमिका निभायी थी.एसआइटी प्रमुख व एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि एवीएन स्कूल सेंटर पर परीक्षा के एक घंटा पूर्व पेपर आने के बाद स्कूल के मैनेजर रामसुमेर सिंह ने ब्लेड से उसकी सील को काटा और फिर मैथ के शिक्षक अटल ने उसका फोटो लिया.चूंकि अटल वहां का शिक्षक था, इसलिए उसे कोई नहीं रोका और वह पेपर का फोटो लेकर वहां से निकल गया. इसके बाद उसने बेऊर स्थित रैंडम कोचिंग क्लासेज के निदेशक सह संचालक रामेश्वर कुमार को वह पेपर वाट्सएप के माध्यम से दे दिया और फिर रामेश्वर कुमार ने अपने सहयोगी बिहटा के वर्मा आइटीआइ सेंटर के निदेशक नितिन कुमार, कौशल किशोर और रेलवे में लोको पायलट आलोक रंजन को भी इसे वाट्सएप से भेज दिया.
इसके बाद रामेश्वर कुमार ने उत्तर तैयार करवाये और फिर पहले से ही तय सेंटर पर अभ्यर्थियों को वाट्सएप के माध्यम से भेज दिये. एवीएन सेंटर पर परीक्षा केंद्र पर वीक्षकों ने उन परीक्षार्थियों को कुछ नहीं टोका और उन्हें मोबाइल अंदर ले जाने की इजाजत दे दी थी, क्योंकि पूरा काम एवीएन के निदेशक की निगरानी में हो रहा था. इसके बाद परीक्षा खत्म हुई और सभी परीक्षार्थी वहां से निकल गये और किसी को कानोंकान भनक भी नहीं लग पायी. फिलहाल इस मामले में स्कूल का मैथ टीचर अटल फरार है.
लीक होते ही तेजी से फैला दिए गए प्रश्नपत्र
सेटरों के गिरोह के पास से बरामद मोबाइल से दो हजार छात्रों से अधिक को बांटे गये प्रश्न पत्र व उत्तर की पुष्टि होने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि पैसा कमाने के लिए इन लोगों ने भूंजे की तरह से सभी को बांट दिया था और जिससे जितना पैसा मिला था, उसे रख लिया गया था. इसी में किसी ने उन प्रश्न पत्रों को वायरल कर दिया था. इस मामले में यह बात भी प्रकाश में आयी कि उक्त स्कूल की सीबीएसइ द्वारा संबद्धता खत्म कर दी गयी थी. लेकिन इसके बावजूद उस स्कूल को परीक्षा केंद्र क्यों बनाया गया? हालांकि यह सवाल उठने के बाद एसएसपी मनु महाराज ने जानकारी दी कि वे इस संबंध में जांच करायेंगे और पता करेंगे कि परीक्षा केंद्र बनाये जाने के लिए क्या नियम है. अगर यह नियमानुकुल नहीं होगा तो फिर इस बिंदु पर भी कार्रवाई की जायेगी.
एवीएन स्कूल के माध्यम से प्रश्न पत्र को लीक करने के मामले उजागर होने के बाद यह भी खुलासा हुआ है कि उक्त परीक्षा केंद्र से 78 छात्रों को पास कराने की योजना थी. उनको मोबाइल तक ले जाने में रोक-टोक नहीं की गयी थी और वे आराम से परीक्षा के उत्तर ओएमआर शीट पर रंगे और निकल गये. एवीएन स्कूल के संचालक व अन्य को पुलिस ने पकड़ा और मोबाइल व वाट्सअप को खंगाला तो पता चला कि उक्त प्रश्न पत्र का उत्तर दो हजार से अधिक छात्रों को उपलब्ध कराये गये थे. इसके लिए पहले ही 50 हजार रुपये हर छात्र से ले लिये गये थे और ऑरिजनल शैक्षणिक दस्तावेज जब्त कर लिये थे. फाइनल रिजल्ट के लिए छह लाख रुपये में हर छात्रों से सौदा हुआ था. पूछताछ में उन्होंने संलिप्तता को स्वीकार की और अपनी भूमिका की जानकारी दी. पूछताछ में एवीएन स्कूल के मैनेजर रामसुमेर सिंह ने जानकारी दी कि उसे इस काम के लिए पचास हजार रुपये दिये गये थे. कौशल को हजारों रुपये मिले थे. नितिन ने ही रामाशीष से रामेश्वर की दोस्ती करायी थी. कौशल किशोर रामेश्वर के घर के पास का ही रहने वाला है. नितिन, रामेश्वर व अटल रामनगरी मोड़ पर मिले थे और फिर साजिश रची.
पेपर लीक प्रकरण का ताल्लुक पटना के आयोग कार्यालय से लेकर बिहार के कई जिलों तक माना जाता हैं. छानबीन में जो तथ्य एसआइटी के हाथ लगे हैं उसके आधार पर नवादा, नालंदा और छपरा में सेटिंग का कनेक्शन ढूंढा जा रहा है. सूत्रों कि मानें तो इन तीनों जिलों में कुछ प्रभावशाली लोग हैं, जो सेटिंग के खेल को संचालित करते हैं. हर जिले में गैंग है, उनके सरगना और गुर्गे काम करते हैं. ये ऐसे लोग हैं जिन पर एसआइटी शक तो कर रही है पर हाथ डालने से पहले सबूत खंगाल रही है.
बैंक खातों में मिला लेनदेन का रेकॉर्ड
बीएसएससी पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने अपने स्तर पर जांच शुरू कर रही है. पेपर लीक रैकेट में करीब चार दर्जन बैंक खातों और एटीएम का पता चला है, जिनके जरिये काफी बड़े स्तर पर पैसे का लेन-देन हुआ है. इसमें करीब दो दर्जन बैंक खातों की विस्तृत जानकारी इओयू ने संबंधित बैंकों से जुटा लिया है.इन सभी बैंक खातों में बीएसएससी की परीक्षा के दौरान या कुछ दिनों पहले बड़े स्तर पर जमा और निकासी हुई है. इन दो दर्जन बैंक खातों में से अधिकतर खाते पटना में ही अलग-अलग शाखाओं के हैं. इनमें दो खातें ऐसे मिले हैं, जिनमें अन्य खातों की तुलना में सबसे ज्यादा 15 लाख रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ है. पेपर लीक मामले में अब तक पटना, नवादा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सोनपुर और छपरा शहर के अलग-अलग थानों में एफआइआर दर्ज हो चुकी है, जिसमें 60 से ज्यादा लोग अभियुक्त बनाये गये हैं. अब तक जितनी भी एफआइआर हुई है, उनमें दो बातें सामान्य पायी गयी हैं. तमाम अभ्यर्थियों को ब्लूटुथ या पर्ची से चोरी करते हुए ही पकड़ा गया है. ब्लूटुथ की मदद से सभी प्रश्नों के उत्तर बाहर से लिखवाने की भी तैयारी थी. इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रश्न-पत्र लीक हुआ था और परीक्षा शुरू होने के काफी पहले ही सेटरों के पास पहुंच चुका था. इसके उत्तर तैयार करवा कर ये लोग संबंधित छात्रों तक भेज रहे थे. कुछ छात्रों ने पर्ची तक बना ली थी. जबकि कुछ एडवांस शातिरों ने ब्लुटूथ के जरिये चोरी करने की हिम्मत दिखायी. सूत्रों का कहना है कि पेपर किसी एक स्थान से ही लीक हुआ है और किसी एक व्यक्ति के पास सबसे पहले पहुंचा, जिसने अलग-अलग स्थानों पर सेटिंग कर रखा था.सूत्र बताता है कि यदि परीक्षा के एक दिन पहले पेपर लीक हुआ होगा तो आयोग पर पेपर लीक का दोषी होने की मुहर लग जायेगी. यदि पेपर लीक होने की अवधि 12 घंटे से कम हुई तो संबंधित जिलों के डीएम और एसपी तक जांच का दायरा बढ़ेगा. इस मसले पर फोकस करने के बावजूद पिछले पांच दिनों में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है कि आखिर कहां से पहली बार व्हाट्सएप या ट्विटर पर मैसेज पहुंचा?
बीएसएससी पेपर लीक प्रकरण उजागर होते ही कई सेटर बिहार छोड़कर फरार हो गये हैं. एसआइटी ने कुछ लोगों के मोबाइल नंबर से लोकेशन को ट्रेस किया है. अब तक चार राज्यों यूपी, झारखंड, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में सेटरों के छुपे होने की जानकारी मिली है.एसआइटी ने इन राज्यों की पुलिस से संपर्क साधा है.स्थानीय पुलिस की मदद से ऐसे लोगों को दबोचने की तैयारी चल रही है. गिरफ्तारी के लिए पटना से दूसरे राज्यों में टीम भी भेजी जा सकती है. एसआइटी इस मामले में सभी टेलीकॉम कंपनियों से मदद ले रही है. यह जांच अब तक पकड़े गये लोगों के मोबाइल फोन से मिले लींक के आधार पर हो रही है.
राज्य कर्मचारी चयन आयोग के एक और मामले का खुलासा हुआ है. नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की ताजा रिपोर्ट में आयोग में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया है. एक मामला परीक्षा फीस के रूप में मिले 71.85 करोड़ रुपये को कोषागार में जमा नहीं किया जाना है. इसमें पोस्टल आर्डर के रूप में मिली 1. 92 करोड़ की राशि भी शामिल है. मार्च 2016 से लेकर नंवबंर 2012 तक की लेखा की पड़ताल पर आधारित रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि कई प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस के रूप में प्राप्त 69. 93 करोड़ की राशि को कोषागार में समय पर जमा नही किया गया. इतना ही नही इसे कैशबुक में भी इंट्री नहीं किया. कैग ने जब आयोग से इस बारे में जानना चाहा तो आयोग ने कैग से कहा कि फीस ऑनलाइन ली जाती है. कभी-कभी फीस वापस भी करनी होती है.
एसआइटी की टीम ने गुरुवार को छापेमारी के लिए बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम के पैतृक गांव रसूलपुर स्थित घर पर पहुंची. लेकिन वह बंद मिला. यहां परमेश्वर राम के तीन भाइयों में सबसे छोटे धर्मनाथ राम और उनका परिवार रहता है. दूसरे भाई अशोक राम दारोगा हैं. धर्मनाथ राम और उनके परिजन पुलिस के पहुंचने के पहले ही घर में ताला बंद कर फरार हो गये थे. इसके चलते पटना से पहुंची टीम को कुछ भी हासिल नहीं हुआ. एसआइटी ने वहां पर आसपास के लोगों से लगभग तीन घंटे तक जानकारी ली.