संवाददाता.पटना.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगता है लालू यादव के संगत का भरपूर असर हो गया है कि वे केन्द्रीय बजट में बिहार के लिए अलग घोषणाएं खोज रहे हैं। लम्बे समय तक सांसद और रेलमंत्री रहने वाले मुख्यमंत्री बताये कि क्या केन्द्रीय बजट में देश के सभी राज्यों के लिए अलग-अलग घोषणाएं होती हैं? क्या बिहार सरकार के इस साल के बजट में राज्य के सभी 38 जिलों और प्रखंडों में किए जाने वाले विकास कार्यों का जिक्र रहेगा? क्या यह सही नहीं है कि बिहार जैसे गरीब और पिछड़े राज्य को ही बजट का सर्वाधिक लाभ मिलेगा? यह कहना है भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का.
उन्होंने कहा कि अरुण जेटली के बजट भाषण को उबाऊ बताने वाले मुख्यमंत्री का शराबबंदी और सात निश्चय पर एक साल से तोते की तरह रटा-रटाया एक ही भाषण सुनते-सुनते क्या बिहार की जनता उब नहीं गई है? गुजरात और झारखंड में एम्स के प्रावधान पर टिप्पणी करने वाले लालू यादव को यह मालूम ही नहीं है कि वित्तमंत्री ने दो साल पहले ही पटना के अलावा बिहार में एक और एम्स की घोषणा की थी जिसके लिए राज्य सरकार आजतक जमीन उपलब्ध नहीं करा पाई है।
दस साल तक केन्द्र में रही यूपीए सरकार और पांच साल तक रेलमंत्री रहे लालू यादव बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिला नहीं पाए वहीं रघुराम राजन कमिटी और 14 वें वित्तआयोग ने तो विशेष राज्य की अवधारणा को ही खत्म कर दिया। अब तो केन्द्र सरकार चाह कर भी किसी राज्य को विशेष दर्जा दे नहीं सकती है।विशेष राज्य के दर्जा से कई गुणा ज्यादा पैकेज के रूप में प्रधानमंत्री ने बिहार को दिया जिसकी एक-एक योजनाएं क्रियान्वित हो रही हैं। मुख्यमंत्री बतायें कि पटना-आरा-बक्सर, पटना-डोभी, मोकामा-बख्तियारपुर-खगड़िया फोर लेन सड़क और गंगा पुल का पुनरुद्धार जैसी अनेक योजनाएं क्या विशेष पैकेज का हिस्सा नहीं है?