संवाददाता.चतरा.झारखंड के चतरा जिला अंन्तर्गत टंडवा प्रखंड में संचालित सीसीएल की आम्रपाली कोल परियोजना पर बुधवार की रात करीब सवा आठ बजे भाकपा माओवादियों ने हमला कर दिया। माओवादियों ने यह हमला आम्रपाली के बीजीआर कम्पनी वर्कशॉप पर किया और कंपनी के वर्कशॉप को बम विस्फोट कर उड़ा दिया। हमले में तीन कर्मी – पदभनाभन, सुरेश कुमार व मधुसूदन घायल हो गये हैं।
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक अंजनी कुमार झा जवानों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि आम्रपाली कोल परियोजना में माओवादियों ने पहली बार हमले कर बमबारी की घटना को अंजाम दिया है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हमले की जिम्मेवारी पंपलेट व हस्तलिखित पर्चा छोड़ कर माओवादियों ने ली है। हमले के समय मौके पर मौजूद आईआरबी जवानों ने भी मोर्चा संभाल लिया। जवानों की ओर से करीब 15 राउंड फायरिंग की गयी। जवानों को भारी पड़ता देख माओवादी वहां से भाग खड़े हुए। इस बीच सूत्रों ने बताया कि रात के करीब साढ़े आठ बजे माओवादियों का हथियारबंद दस्ता एक बोलेरो पर सवार होकर आम्रपाली पहुंचा और यहां पहुंचते ही माओवादियों ने भारी बमबारी शुरू कर दी। वर्कशॉप को पूरी तरह घ्वस्त करने के बाद माओवादियों की ओर से हवा में करीब 25 राउंड फायरिंग की गयी।
हमले के बाद भागने से पूर्व माओवादियों ने हस्तलिखित पर्चा छोड़ कर आम्रपाली कोल परियोजना को बंद करने करने की चेतावनी दी है।
हमले में कहीं टीपीसी के नक्सली तो नहीं!
आम्रपाली कोल परियोजना पर किये गये हमले में शक यह भी है कि इसे कहीं माओवादियों के नाम पर नक्सली संगठन तृतीय प्रस्तुति कमेटी के सदस्यों ने तो अंजाम नहीं दिया है। हमले के बाद सवाल कई उठ रहे हैं। दरअसल जानकार लोग बताते है कि हमले के बाद माओवादी बगैर लेटर पैड के पर्चा जारी नहीं करते, जबकि यहां सादे कागज पर हस्तलिखित पर्चा छोड़ा गया है और इसमें हमले के लिए माओवादियों को जिम्मेवार ठहराया गया है। इसके अलावा जहां हमले हुए हैं, उस इलाके पर पूरी तरह से नक्सली संगठन टीपीसी का प्रभाव है। वरीय पुलिस सूत्रों ने बताया कि नोटबन्दी से टीपीसी की कमर टूट गयी है। वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। गौरतलब है कि केन्द्र और राज्य के सुरक्षाबल भी नक्सलियों के सफाये के लिए अभियान चला रहे हैं।