सत्याग्रह आन्दोलन के शताब्दी समारोह की हुई शुरूआत

950
0
SHARE

6

निशिकांत सिंह.पटना.भारत माता को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए कई आन्दोलन हुए। जिसमें सत्याग्रह आन्दोलन का अपना एक विशेष महत्व है। सत्याग्रह का मूल अर्थ है सत्य के प्रति आग्रह। ये दोनो ही शब्द संस्कृत भाषा के शब्द हैं।भारत में गाँधी जी के नेतृत्व में सत्याग्रह आन्दोलन के अंर्तगत अनेक कार्यक्रम चलाए गये थे। जिनमें प्रमुख है, चंपारण सत्याग्रह, बारदोली सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह। ये सभी आन्दोलन भारत की आजादी के प्रति महात्मा गाँधी के योगदान को परिलक्षित करते हैं।गाँधी जी ने कहा था किए ये एक ऐसा आंदोलन है जो पूरी तरह सच्चाई पर कायम है और हिंसा का इसमें कोई स्थान नही है।

15 अप्रैलए1917 को राजकुमार शुक्ल जैसे एक अनाम.से आदमी के साथ मोहनदास करमचंद गांधी नाम का आदमी चंपारण,मोतिहारी पहुंचे। बाबू गोरख प्रसाद के घर पर उन्हें ठहराया गया।बिहार के उत्तर.पश्चिम में स्थित चंपारण वह इलाका है जहां सत्याग्रह की नींव पड़ी, नील की खेती के नाम पर अंग्रेजी शासन द्वारा किसानों के शोषण के खिलाफ यहां गांधी के नेतृत्व में 1917 में सत्याग्रह आंदोलन चला था।

मोहनदास करमचंद गांधी ने 1917 में संचालित चंपारण सत्याग्रह न सिर्फ भारतीय इतिहास बल्कि विश्व इतिहास की एक ऐसी घटना है, जिसने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को खुली चुनौती दी थी। वे दस अप्रैल, 1917 को जब बिहार आए तो उनका एक मात्र मकसद चंपारण के किसानों की समस्याओं को समझनाए उसका निदान और नील के धब्बों को मिटाना था। एक स्थानीय पीड़ित किसान राजकुमार शुक्ल कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन ;1916 में अंग्रेजों द्वारा जबरन नील की खेती कराई जाने के संदर्भ में शिकायत की थी। शुक्ल का आग्रह था कि गांधीजी इस आंदोलन का नेतृत्व करें। गांधीजी ने इस समस्या को न सिर्फ गंभीरतापूर्वक समझा, बल्कि इस दिशा में आगे बढ़े।बिहार में चंपारण जिले को ये सौभाग्य प्राप्त है कि दक्षिण अफ्रिका से वापस आकर महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह आन्दोलन का प्रारम्भ यहीं से किया। चंपारण सत्याग्रह में गाँधी जी को सफलता भी प्राप्त हुई।

शांतिपूर्ण जनविरोध के माध्यम से सरकार को सीमित मांगों को स्वीकार करने पर सहमत कर लेना एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी। सत्याग्रह का भारत के राष्ट्रीय स्तर पर यह पहला प्रयोग इस लिहाज से काफी सफल रहा। इसके बाद नील की खेती जमींदारों के लिए लाभदायक नहीं रही और शीघ्र ही चंपारण से नील कोठियों के मालिकों का पलायन प्रारंभ हो गया।

इस आंदोलन का दूरगामी लाभ यह हुआ कि इस क्षेत्र में विकास की प्रारंभिक पहल हुई,जिसके तहत कई पाठशालाएं, चिकित्सालय, खादी संस्था और आश्रम स्थापित किए गए। इस आंदोलन का एक अन्य लाभ यह भी हुआ कि चंपारण से ही मोहनदास करमचंद गांधी का महात्मा बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ आमजनों को अपना अधिकार प्राप्त करने के लिए सहज हथियार ;सत्याग्रह मिला। चंपारण सत्याग्रह को आज के संदर्भ में देखना चाहिए। महात्मा गांधी के संदेश.सत्य, अहिंसा,प्रेम, सदाष्यता आदि को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है । इस दिशा में राज्य सरकार के साथ.साथ विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों को पहल करने की आवश्यकता है।वैसे तो इतिहास की हर घटना की शताब्दी आती है और उसे सौ साल पुराना बना कर चली जाती है। हम भी इतिहास को बीते समय और गुजरे लोगों का दस्तावेज भर मानते हैं। लेकिन इतिहास बीतता नहीं हैए नए रूप और संदर्भ में बार.बार लौटता है और हमें मजबूर करता है कि हम अपनी आंखें खोलें और अपने परिवेश को पहचानें! इतिहास के कुछ पन्ने ऐसे होते हैं कि वे जब भी आपको या आप उनको छूते.खोलते हैं तो आपको कुछ नया बना कर जाते हैं। इसे पारस.स्पर्श कहते हैं। इतिहास का पारस.स्पर्श! चंपारण का गांधी.अध्याय ऐसा ही पारस है! इस पारस के स्पर्श से ही गांधी को वह मिला और वे वह बने जिसकी खोज थी उन्हें, यानी इतिहास ने जिसके लिए उन्हें गढ़ा था। और वह गांधी का स्पर्श ही था कि जिसने अहिल्या जैसे पाषाणवत् चंपारण को धधकता शोला बना दिया था।

चंपारण को देखने दूर.दूर से लोगों का आना शुरू हो गया है। वजह है कि 15 अप्रैलए 2016 से गांधी के सत्याग्रह का 100वां साल शुरू हो गया है। लोग आ रहे हैं, मोतिहारी आ रहे हैं, चन्द्रहिया जा रहे हैं। थोड़ा पीपराकोठी,तुरकौलिया, बड़हरवा लखनसेन का चक्कर भी मार ले रहे हैं। भितिहरवा में गांधी का आश्रम था,स्कूल भी। बड़हरवा लखनसेन में गांधी और उनके लोगों द्वारा शुरू किया गया पहला स्कूल है। चन्द्रहिया पहला सत्याग्रह स्थल है। मोतिहारी का गांधी संग्रहालय का भ्रमण कर रहे है ,तरह.तरह के आयोजन का रूप.स्वरूप.प्रारूप तैयार हो रहा है चंपारण में।

इसी क्रम में शताब्दी वर्ष के दौरान आज खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार की ओर से 15 दिवसीय खादी महोत्सव का शुभारंभ किया जा रहा हैजो 13 फरवरी 2017 तक जारी रहेगा। इस महोत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों से खादी एवं ग्रामोद्योगी संस्थाएं अपने उत्पादों के साथ भाग ले रही है।यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि महात्मा गांधी की प्रेरणा से स्थापित खादी और ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित खादी, स्फूर्ति, केआरडीपी एवं पीएमईजीपी योजनाओं के माध्यम से भारत की गरीब से गरीब जनता को रोजगार का अवसर प्रदान कर उन्हें स्वावलंबी बना रहा है तथा भारत की आर्थिक प्रगति में अपना योगदान दे रहा है।

इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि वर्ष 2015-16 के दौरान बिहार राज्य में आयोग के माध्यम से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत 2430 इकाईयों की स्थापना कर 19624 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया गया है, जबकि वर्ष 2016.17 के दौरान बिहार राज्य में अब तक 1677 इकाइयों के माध्यम से 4800व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया गया है एवं विशेष रूप से पूर्वी चंपारण जिले में 748 इकाइयां स्थापित की गई है।केआरडीपी योजना अंतर्गत पूर्वी चम्पारण जिला खादी ग्रामोद्योग संघ मोतीहारी को वर्ष 2016-17 मे 119.00 लाख  की स्वीकृति की अनुसंसा की गई है जिसके अंतर्गत 200 चर्खे एवं 20 करघे के परिचालन एवं प्रशिक्षण की ब्यवस्था है।शताब्दी वर्ष मे चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी द्वारा जिन गावों का भ्रमण किया गया था,उन 13 गावों के 350 कामगारों का सोलर चर्खा प्रशिक्षण के लिए चयनकिया जा रहा है। जिन्हे प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। साथ ही अन्य उद्योगो मे भी प्रशिक्षण देने की योजना है,जिन्हे बाद मे से रोजगार मुहैया कराया जा सके ।

 

LEAVE A REPLY