संवाददाता.रांची.झारखंड के सब्जी उत्पादक किसान इन दिनों सबसे बुरे दौर से गुजर रहे है। आर्थिक तौर पर उनकी कमर पूरी तरह से टूट चुकी है। खेत में बहाये गये पसीने का कोई मोल नहीं रहा। उपज का लागत मूल्य भी उन्हें हासिल नहीं हो रहा है। बाजार में सब्जी खरीदारी के लिए किसानों को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में सब्जी के बदले पैसे मिलने की बात उनके लिए किसी सपने से कम नहीं है। पहले फूलगोभी के बाजार ने उनकी कमर तोड़ी और अब टमाटर उन्हें रूला रहा है।
झारखंड के किसानों के समक्ष हालात काफी गंभीर बने हुए हुए हैं। बाजार से ग्राहक नदारद हैं। खेत से बाजार तक टमाटर को लाया जाता हैं। लेकिन टमाटर के खरीददार ही नहीं मिल रहे हैं। मसलन सोमवार को भी किसान टमाटर को बेचने बुंडू बाजार पहुंचे हुए थे। समय गुजर जाने के बावजूद कोई खरीददार नहीं मिला। खरीदार नहीं मिलने पर मेहनत से खेत में तैयार किये गये टमाटर को हताश-निराश और गुस्से से भरे किसान टाटा-रांची मुख्य मार्ग बुंडू धुर्वा मोड़ पर सोमवार को बीच सड़क फेंक कर चले गए। किसानों द्वारा सैकड़ों क्विंटल टमाटर सड़क पर फेंके जाने की खबर तेजी से फैली और लोगों का वहां जुटान हो गया। देखते ही देखते वाहनों का परिचालन कुछ देर के लिए वहां पूरी तरह से ठप पड़ गया था।
पूरे पंचपरगना सहित झारखंड के दूसरे ग्रामीण बाजारों में भी किसानों की कमोबेश स्थिति ऐसी ही है। किसानों को उपज का लागत मूल्य भी हासिल नहीं हो रहा है। शहर के बाजार में यही टमाटर पांच रूपये किलो मिल रहे हैं। ग्रामीण बाजार में फूलगोभी जहां दो से तीन रु है, वहीं शहर पहुंचकर यह पांच रु किलो के आसपास बिक रहा है। किसानों की बजाय बिचैलिये आमदनी में हाथ मार रहे हैं।