हिमांशु शेखर.रांची.झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार को प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के शोरगुल और सदन से वाकआउट के बीच वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 75,673.42 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश किया। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इसमें 19.17 फीसदी राशि की वृद्धि की गयी है। बजट की खासबात यह है कि सरकार की ओर से किसी नये टैक्स का प्रावधान नये बजट में नहीं किया गया है।
बजट में वित्तीय वर्ष 2017-18 को ’गरीब कल्याण वर्ष’ के रुप में मनाने का निर्णय लिया गया है। बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2016-17 के बजट भाषण में की गयी कुल 172 घोषणाओं में 134 घोषणाएं पूरी हो चुकी है। शेष बचे 37 घोषणाओं के कार्यान्वयन की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष विभिन्न माध्यमो से कुल 1005 सुझाव राज्य सरकार को प्राप्त हुए, जिसमें से कई सुझावों को बजट में भी सम्मिलित किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि विगत वित्तीय वर्ष की तुलना में आगामी वित्तीय वर्ष 2017-18 में बजट की राशि में करीब 19.17 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है, जिसमें पूंजीगत व्यय 20 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने बताया कि इस बार सबसे अधिक बल शिक्षा, ग्रामीण विकास, पथ एवं भवन, ऊर्जा, कृषि, कल्याण, नगर विकास, पेयजल स्वच्छता और स्वास्थ्य विभाग पर दिया गया है। शिक्षा विभाग के लिए आगामी बजट में 10517.64करोड़, ग्रामीण विकास के लिए 10473.70करोड़, पथ एवं भवन निर्माण के लिए 6101.22करोड़, ऊर्जा के लिए 6000करोड़, कृषि एवं जल संसाधन के लिए 5590करोड़, कल्याण के लिए 5370करोड़, नगर विकास, पेयजल स्वच्छता विभाग के लिए 4551.82करोड़ और पुलिस एवं आपदा प्रबंधन विभाग के लिए 4713.86करोड़ रुपये तथा स्वास्थ्य विभाग के लिए 3105.97करोड़ रु का प्रावधान किया गया है।उन्होंने बताया कि प्रस्तावित कृषि बजट में 12 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है, वहीं 7684.51करोड़ रु. का जेंडर बजट है, जो चालू वित्तीय वर्ष 5908.99करोड़ की तुलना में 30.05प्रतिशत अधिक है।
झारखंड में पहली बार मुख्यमंत्री शिक्षा ऋण गारंटी फंड के गठन के लिए 50 करोड़ रु. राशि का प्रावधान किया गया है और मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना का का उल्लेख बजट में है। उन्होंने बताया कि वीर सपूतों और शहीदों के ग्रामों में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 30करोड़ रु. का का प्रावधान बजट में है। राज्य में पहली बार टाना भगत विकास प्राधिकार का गठन होगा। इसके लिए भी 10 करोड़ रु. बजट में रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के युवाओं के कल्याण एवं विकास के लिए युवा आयोग को सक्रिय किया जाएगा। सौ नये नये कृषि सिंगल विंडों सेंटर की स्थापना की जाएगी और 19 अनुमंडलों में कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना होगी। 25हजार कृषकों को सिंचाई सुविधा के विस्तार के लिए पंप सेट उपलब्ध कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मनरेगा से आगामी वर्ष में चार लाख अतिरिक्त डोभे निर्माण का लक्ष्य है। विश्व बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए ’जोहार’ नाम की परियोजना का गठन किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन को और अधिक सुलभ बनाने के लिए 150 लंबे पुलों का निर्माण होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि चार लाख परिवारों को सब्जी उत्पादन, लाह उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, लघु व कुटीर उद्योग से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा एक लाख सखी मंडलों को एक-एक स्मार्ट फोन वितरित करने का प्रस्ताव है। 5000 बीपीएल महिलाओं को 90 प्रतिशत अनुदान पर दुधारु गाय दिये जाएंगे। प्रत्येक प्रखंड में कम से कम एक पालना घर का संचालन होगा। सुदूर क्षेत्रो में रहने वाली महिलाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक नयी योजना ’विश्वविद्यालय बस सेवा’ की शुरूआत होगी।
सरकार की ओर से परंपरागत ग्राम पंचायत व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मासिक सम्मान राशि में भी बढ़ोत्तरी की गयी, जिसमें मानकी को सम्मान राशि 3000, मुंडा को 2000रु. ग्राम प्रधान को 2000रु. तथा डाकुआ को 1000रु. प्रतिमाह दिये जाएंगे। सभी प्रमंडलों में नेतरहाट आवासीय विद्यालय, इंदिरा आवासीय विद्यालय की तर्ज पर दक्षिणी छोटानागपुर, कोल्हान व संतालपरगना प्रमंडल में एक-एक आवासीय की स्थापना होगी। चरणबद्ध तरीके से आगामी तीन वर्षों में सभी पंचायतों में ग्रामीण पुस्ताकलय की स्थापना की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोयलांचल क्षेत्र में बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल खुलेगा। रांची कॉलेज को उत्क्रमित कर विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा। इसके अलावा तीन अन्य नये निजी विश्वविद्यालय भी खुलेंगे। बाबा बैद्यनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय निर्माण के लिए प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराज्यीय, पर्यटन, और औद्योगिक विकास के महत्व को देखते हुए एक हजार किलोमीटर सड़क और चालीस बड़े पुल निर्माण की योजना सरकार ने बनायी है। रांची-बोकारो एवं धनबाद को जोड़ने के लिए एक्सप्रेस-वे का निर्माण होगा। औद्यौगिक कॉरिडोर बनाये जाएंगे। इसी कड़ी में रांची, धनबाद एवं जमशेदपुर को छह लेन एक्सप्रेस-वे का निर्माण कर गोल्डन ट्रैंगल स्थापित करने का प्रस्ताव है। विभिन्न शहरों की यातायात व्यवस्था का भी सुदृढ़ किये जाने का प्रस्ताव बजट में है।
विपक्ष की ओर से विधानसभा में सोमवार को फिर चार विधायकों के निलंबन और सीएनटी-एसपीटी एक्ट में सरकार द्वारा किये गये संशोधन का मुद्दा उठाया गया।
इस बीच झामुमो के कई विधायक सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन वापस लेने की मांग को लेकर वेल में आ गये। इस वजह से विधानसभा अध्यक्ष को अपराह्न बारह बजे तक के लिए विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। सदन की कार्यवाही दुबारा शुरु होने पर झामुमो विधायक फिर वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झामुमो सदस्यों के शोरगुल के बीच ही बजट पेश किया। फिर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो विधायक सदन वाकआउट कर बाहर निकल गये। बाहर निकल कर इन विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाये। कांग्रेस, झाविमो समेत अन्य विपक्षी दल के सदस्य बजट भाषण के अंत तक सदन में मौजूद रहें।
बजट गांव-गरीबों को समर्पित- भाजपा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने विधानसभा में पेश बजट को समेकित एवं सतत विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाने वाला करार देते हुए विकासोन्मुख एवं गांव, गरीब, किसान को समर्पित बताया है।उन्होंने कहा कि कृषि बजट, जेंडर बजट के बाद अब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के समुचित विकास हेतु अलग से बजट का प्रावधान एवं उसके संचालन का विशेष प्रावधान करके मुख्यमंत्री ने सराहनीय कदम उठाया है।
बजट निराशाजनक- झामुमो
झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने आज विधानसभा में पेश बजट को पूरी तरह से निराशाजनक बताया। कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2017-18 क¨ गरीब कल्याण वर्ष के रुप में की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है तो अब उन्हें बताना चाहिए कि अब तक राज्य सरकार किसका कल्याण कर रही थी।
वास्तविकता से दूर है बजट- कांग्रेस
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व विधायक सुखदेव भगत ने कहा कि राज्य सरकार का बजट वास्तविकता से दूर है। बजट का आकार तो बढ़ाया गया है, लेकिन योजनाऐं कैसे पूरा होगी-¨ सरकार इस पर मौन है। उन्होंने कहा कि चालू वितीय वर्ष में सिर्फ 66 दिन शेष हैं लेकिन सरकार के द्वारा विकास योजनाओ में 52 प्रतिशत राशि हीं खर्च की जा सकी है। शेष राशि चालू वितीय वर्ष में कैसे खर्च होगी, यह सरकार को बतानी चाहिए।