हिमांशु शेखर.रांची.सीएनटी-एसपीटी व झामुमो-कांग्रेस के चार विधायकों के निलंबन मामले पर विपक्ष की ओर से झारखंड विधानसभा में शुक्रवार को जोरदार हंगामा किया गया। इस वजह से विधानसभा की कार्यवाही दिनभर बाधित रही।विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने जहां विधायकों के निलंबन को गैरजरूरी कदम बताते हुए इसे अनुचित करार दिया वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे विधायकों के निलंबन का समर्थन किया।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि चार विधायकों के निलंबन का निर्णय सदन में बहुमत का फैसला था। उन्होंने निलंबन का निर्णय विधानसभा अध्यक्ष या सरकार का निर्णय नहीं था, सदन की सदाचार समिति की अनुशंसा के तहत यह कार्रवाई हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि सदाचार समिति ने अनुशंसा करने के पहले विधायकों को तीन-तीन बार बुला कर अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया,लेकिन वे अपने पक्ष को भी रखने को तैयार नहीं थे।
विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने कहा कि सदन की गरिमा को बचाने में सभी सदस्यों की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि आसन में आसित व्यक्ति को दायित्वों के निर्वहन को लेकर कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ते है। विधानसभाध्यक्ष ने निलंबन वापसी पर कहा कि यदि नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन और कांग्रेस विधायक डॉ.इरफान अंसारी की ओर से विधायक दल के नेता की ओर से लिखित आवेदन दिया जाए,तो वे सभी दलों के नेताओं, स्टीफन मरांडी,सत्तारुढ़ दल के मुख्य सचेतक के साथ बैठक कर इस पर पुनर्विचार करेंगे। उन्होंने अपनी बातों को रखने के बाद प्रश्न¨त्तरकाल की कार्यवाही शुरु कराने की कोशिश की, लेकिन झामुमो के चंपई सोरेन ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन की वापसी को लेकर खड़ा हो गये। झामुमो के कई अन्य विधायक भी संशोधन विधेयक वापसी की मांग को आसन में आ गये। अंततः विधानसभा की कार्यवाही दिनभर के के लिए बाधित हो गयी।