निशिकांत सिंह.पटना. 350वें प्रकाशोत्सव के मौके पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा वृहद पैमाने पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान सोमवार को रविंद्र भवन में विभाग के मंत्री शिवचंद्र राम प्रथम दर्शक के रूप में शामिल हुए.इस दौरान अपने संबोधन में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री शिवचंद्र राम ने कहा कि गुरू गोविंद सिंह की शिक्षा आज भी हमारे लिए प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा कि गुरू गोविंद सिंहजी ने देश और दुनिया को भेदभाव, ऊंच -नीच, जात – पात जैसी समस्यओं को नकार समाज में सद्भावना लाने की कोशिश की. बिहार की धरती आज गुरू गोविंद सिंह जी जन्मदिवस पर 350वें प्रकाशोत्सव को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का छह दिवसीय महोत्सव आयोजित कर गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा 350वें प्रकाशोत्सव पर आयोजित शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम में प्रख्यात कलाकारों ने सोमवार को अपनी प्रस्तुति से पटना वासियों का दिल जीत लिया। देस राज लखानी के दाढ़ी से कार्यक्रम का आगाज हुआ। इस दौरान परमिंदर सिंह भरमा (अमृतसरी बाई) और पंडित अनिल चौधरी ने पखावज का सोलो गायन किया, जिसका साथ सारंगी पर घनश्याम सिसोदिया ने दिया। सितार पर मनु सीन और तबले पर पंडित मदन मोहन उपाध्याय ने तबले पर जबरदस्त तान छेड़ी। वहीं, जसवंत सिंह जफर ने काव्य पाठ कर खूब तालियां बटोरी।
वहीं, रविंद्र भवन के सभागार में 1 से 5 जनवरी तक आयोजित सांस्कृतिक उत्सव में बिरहा गायन के साथ कार्यक्रम का आगाज हुआ, जिसे इलाहाबाद के सरोज सरगम ने प्रस्तुत किया। गुजरात के द्वारका से दया भाई नाकुम के साथ आए बच्चों के दल ने बेडा रास रचा कर मंत्रमुग्ध कर दिया। द्वारिका का यह परंपरागत नृत्य खेतों से काम कर लौटने के बाद महिलाएं घर के कामों से मुक्त होकर करती हैं। इसमें 12 महिलाओं का दल होता है, जो काठ से बने मंदिर को सर पर रखकर नृत्य करती है। उत्तर प्रदेश के महोबा से आए लखन लाल यादव ने दीवारी/पाईडंडा और सुरांगन पटना के जितेंद्र कुमार ने बिहार के स्थानीय नृत्य की जोरदार प्रस्तुति दी।
मणिपुरी मार्शल आर्ट थांगटा ने दर्शक दीर्घा में मौजूद सभी दर्शकों को दांतों तले उंगली दबवा दी, जिसे मणिपुर के एम इबोमचा सिंह ने प्रस्तुत किया। तो भारत के दक्षिण राज्य केरल से जन्मी एक युद्ध कला कलरियापयट्टू की प्रस्तुति केरल के शहादुद्दीन (शिवा) ने दी। नर्तक और नर्तकियों के साथ होने वाले यह युद्ध कला केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक आदि में काफी प्रचलित है. कार्यक्रम में कला संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद, अपर सचिव आनंद कुमार, संस्कृति निदेशक सत्यप्रकाश मिश्रा, अतुल वर्मा, संजय कुमार, अरविंद महाजन, मोमिता घोष, राजकुमार झा भी उपस्थित रहे.