बिहार में उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्नत कृषि-तकनीक की जरूरत-राधामोहन

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निशिकांत सिंह.पटना. केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि बिहार में गेंहू, चावल और तिलहन का औसत उत्पादन, इन फसलों के राष्ट्रीय औसत उत्पादन से बहुत कम है,इसलिए राज्य को इनकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्नत कृषि तकनीक अपनाने, उच्च पैदावार की वैरायटी विकसित करने और राज्य में बड़े पैमाने पर बीज प्रतिस्थापन (सीड रिप्लेसमेंट) की जरूरत है।

कृषि मंत्री ने यह बात आज ईटीवी न्यूज नेटवर्क द्वारा आईसीएआर-आरईसीआर पटना में आयोजित अन्नदाता सम्मान एवं उन्नत कृषि संवाद में कही। ईटीवी ने 1996 में तेलगू में किसानों पर आधारित अन्नदाता कार्यक्रम की शुरुआत की थी और अब यह कार्यक्रम हिंदी राज्यों में ईटीवी के सभी चैनलों पर प्रसारित किया जाता है। इस अवसर पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. आर.सी. श्रीवास्तव, बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, विजय कुमार सिंह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर के निदेशक, डॉ0 बी.पी. भट्ट और ईटीवी न्यूज नेटवर्क के प्रमुख जगदीश चन्द्र मौजूद थे।

कृषि मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में किसानों की भलाई के अनेक काम किए हैं। सरकार ने बिहार की जनता को कृषि में अनेक संस्थाएं दी हैं जिनमें कई पर कार्य शुरू हो चुका है और कुछ पर बिहार सरकार को निर्णय लेना है। उन्होंने कहा कि उनकी अब तक यही कोशिश रही है कि जितना संभव हो, पूर्वी क्षेत्र के कृषि विकास कार्य को गति दी जाए क्योंकि प्रधानमंत्री का मानना है कि कृषि में दूसरी हरित क्रांति का आगाज पूर्वी राज्यों से होना है और उसमें बिहार की अहम भूमिका होगी।

कृषि मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, हर किसान को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। इससे किसान उर्वरक का उपयोग कर मृदा स्वास्थ्य का संतुलित प्रबंधन कर सकेंगे। साथ ही किसान, जैविक खेती के सिद्धांतों तथा विधाओं को बढ़ावा देकर टिकाऊ खेती की शैली को मजबूत कर सकेंगे। ग्रामीण युवाओं को कृषि आधारित कौशल प्रशिक्षण से गांव में ही रोजगार मिल सके, इसके लिए भारत सरकार ने स्किल्ड इंडिया योजना चलायी है।

कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय बीज निगम ने बिहार सरकार से 100 एकड़ जमीन की माँग की है, बंगाल एवं झारखंड ने जमीन दे दी है। बिहार सरकार से उम्मीद है कि वह राष्ट्रीय बीज निगम को जमीन उपलब्ध कराएगी। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने अपना एक बीज उत्पादन केन्द्र बिहार में खोलने के लिए जमीन की मांग राज्य सरकार से की है लेकिन अब तक राज्य सरकार ने भूमि उपलब्ध नहीं कराई है। उन्होंने कहा कि इस केन्द्र से बिहार के सब्जी उत्पादक किसानों को काफी फायदा होगा। उन्होंने बताया कि बिहार में मगध तथा सारण में कृषि कॉलेज, मोतिहारी में उद्यान एवं वानिकी कॉलेज और मधुबनी में पशु चिकित्साक एवं मात्स्यिकी कॉलेज को स्वीकृति दे दी गई है। इस संबंध में भी जमीन आवंटित करने का अनुरोध राज्य सरकार से किया गया है। पूर्वी चम्पारण जिले के महेसी प्रखंड के महामदा बीज गुण प्रक्षेत्र में जमीन की मांग भारत सरकार ने की है परन्तु राज्य सरकार द्वारा अभी तक जमीन का आवंटन नहीं किया गया है। कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के काम को भी बिहार ने बार – बार अनुरोध के बावजूद अभी तक इस संबध में कोई पहल नहीं की है। आखिर में उन्होंने बिहार सरकार से आग्रह किया कि हर खेत को पानी देने के मकसद से चलायी जा रही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जिलावार सिंचाई परियोजना राज्य सरकार तैयार करे ताकि सिंचाई योजनाएं बिहार में तेजी से लागू की जा सके। मृदा स्वास्थ्य कार्ड (स्वायल हेल्थ कार्ड) एवं जैविक खेती के लिए चलायी जा रही योजनाओं की गति भी बिहार में तेज करने की जरूरत है।

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