सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ आदिवासी संगठनों की जनसभा

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संवाददाता.खूंटी.सीएनटी-एसपीटी एक्ट में सरकार द्वारा किये गये संशोधन प्रस्ताव के खिलाफ खूंटी में आदिवासी संगठनों की सभा हुई।सभा में आदिवासी संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ करमा उरांव ने कहा कि अब राज्य की जनता समझ चुकी है कि यहां के आदिवासियों और मूलवासियों को भूमि से बेदखल करने के लिए राज्य सरकार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा है।

तोरपा के विधायक पौलुस सुरीन ने कहा कि 1769 में धालभूम राजा के नेतृत्व में आदिवासियों का आंदोलन हो या भगवान बिरसा मुंडा व सिदो-कान्हू का आंदोलन या सरदारी लड़ाई, सबका कारण एक ही था, भूमि को बचाना। पर राज्य सरकार द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम आदिवासी-मूलवासी भावना के खिलाफ तो है ही, यह संविधान का उल्लंघन भी है। पूर्व विधायक देव कुमार धान ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट की मूल भावना आदिवासियों को शोषण से मुक्ति दिलाना, जल जंगल और जमीन पर उनके अधिकार को संरक्षण प्रदान करना और उनके विकास के लिए विशेष प्रयास करना है। पर राज्य सरकार आदिवासियों को ही भूमि से बेदखल करना चाहती है। पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह मुंडा ने कहा सरकार की इस साजिश को कभी सफल होने नहीं दिया जायेगा। जनसभा में कई आदिवासी नेताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

 

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