निशिकांत सिंह.पटना.भाजपा जमीन-खरीद मामले जदयू नेताओं ने नया खुलासा करते हुए कहा है कि जमीन खरीददारी में पैसा पार्टी का लेकिन पैन (नंबर) नेताओं का… इसके साफ पता चलता है कि इनकी नीयत में खोट है. बिहार में भाजपा कार्यालय के लिए जमीन खरीद के 31 मामलों में से 10 में पार्टी के पैन ¼AAABB 0157F½ का इस्तेमाल नहीं किया गया है. बीजेपी का दावा है कि कार्यालय के लिए जमीन पार्टी ने खरीदी है और इसके लिए रुपये भी पार्टी फंड से दिए गए हैं.
जदयू ने सवाल उठाया है कि जब संपत्ति पार्टी की है और रुपये भी पार्टी फंड के थे, तो फिर बीजेपी नेताओं ने जमीन खरीदने के दौरान दस्तावेजों में अपना निजी पैन क्यों इस्तेमाल किया? क्या इसके पीछे किसी आर्थिक घोटाले की मंशा रही है?
यहां यह समझने की जरूरत है कि अगर दस्तावेजों में बीजेपी का पैन इस्तेमाल होता तो जमीन खरीदी में खर्च हुए रुपयों का हिसाब-किताब पार्टी को आयकर विभाग और चुनाव आयोग को देना पड़ता. इसलिए ऐसा हो सकता है कि इससे बचने के लिए आर्थिक फर्जीवाड़ा करते हुए इन दस्तावेजों में पार्टी के पैन की बजाय बीजेपी नेताओं ने खुद के पैन का इस्तेमाल किया हो.
नोटबंदी से पहले भाजपा द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन खरीद मामले में जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक तथा प्रदेश प्रवक्तागण संजय सिंह, नीरज कुमार व राजीव रंजन प्रसाद ने सोमवार को भाजपा से पार्टी की जमीन खरीद में बड़े पैमाने पर निजी पैन के इस्तेमाल को लेकर पांचवा सवाल पूछा है.
जदयू नेताओं ने कहा कि यह भी हो सकता है कि पार्टी की ओर से बड़े पैमाने पर हो रही जमीन की खरीददारी देखकर इन दस मामलों में बिहार बीजेपी के संबंधित नेताओं ने बहती गंगा में हाथ धो लिए हों और खरीददारी खुद के नाम कर ली हो. बीजेपी की जमीन खरीद के इन दस्तावेजों से एक और मामला सामने आता है. जमीन खरीद के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के नेताओं को अधिकार पत्र जारी किए थे, जिन्हें जमीन खरीददारी के दौरान इस्तेमाल करना था. लेकिन आश्चर्य की बात है कि जमीन खरीद के इन मामलों में पार्टी अध्यक्ष द्वारा प्रदत्त अधिकार पत्र भी संलग्न नहीं किए गए.
जदयू नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रत्येक परिस्थिति में बीजेपी नेताओं की शातिराना करतूत से साफ पता चलता है कि जमीन के नाम पर कालेधन को सफेद करने में पार्टी आलाकमान से लेकर बिहार के नेताओं तक की सक्रिय भूमिका रही है.झंडे का भगवा रंग रखने वाली पार्टी के नेताओं के दिल और उनकी नीयत दोनों कितनी काली है, साफ पता चलता है. इनकी मंशा स्पष्ट है- राम नाम जपना, कालाधन अपना. जदयू नेताओं ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर आर्थिक फर्जीवाड़े के इन आरोपों पर बीजेपी और इसके सभी संबंधित नेता जनता को जवाब दें.