निशिकांत सिंह.पटना.राज्य निवेश प्रोत्साहन परिषद (एसआईपीबी) से स्वीकृत 3 हजार करोड़ से ज्यादा के 300 निवेश प्रस्तावों को मुख्यमंत्री की लापरवाही से महीनों स्वीकृति नहीं दी जा सकी और अब उन तमाम निवेशकों से सितम्बर में लागू नई औद्योगिक नीति- 2016 के तहत दुबारा प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं. जबकि कई उद्यमियों ने स्वीकृति की प्रत्याशा में उद्योग लगाना भी प्रारंभ कर दिया है.
मुख्यमंत्री पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि 2011 की पुरानी औद्योगिक नीति में निवेशकों को कैपिटल सबसिडी, दर्जनों प्रकार के प्रोत्साहन के अलावा 300 प्रतिशत तक वैट प्रतिपूर्ति के लाभ देने का प्रावधान था. जबकि नई औद्योगिक नीति में कैपिटल सबसिडी व अन्य प्रोत्साहनों को समाप्त कर केवल ब्याज अनुदान देने का प्रावधान किया गया है.
मोदी के अनुसार, हास्यास्पद यह है कि 17 मार्च, 2016 को एसआईपीबी की बैठक में जिन 75 उद्योगों को स्वीकृति दी गई, उनकों 30 जून तक उत्पादन शुरू करने पर ही पुरानीऔद्योगिक नीति के तहत लाभ मिलने की बात कही गई.सवाल है कि क्या मात्र तीन महीने में कोई उद्योग स्थापित होकर उत्पादन शुरू कर सकता है?
23 फरवरी, 2016 को 100 करोड़ से ऊपर के छह निवेश प्रस्तावों के अलावा 63 चावल मिल व खाद्य प्रसंस्करण के करीब 800 करोड़ के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी. मुख्यमंत्री ने महीनों तक इन प्रस्तावों को स्वीकृति नहीं दी, इसमें निवेशकों का क्या कसूर है? हर क्षेत्र की अलग-अलग जरूरतें व समस्यायें होती हैं, इसलिए क्षेत्रवार मसलन आईटी, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल, रेडीमेड, अस्पताल और पर्यटन आदि के लिए जब तक अलग-अलग प्रोत्साहन नीति नहीं बनेगी, इन क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना संभव नहीं होगा.मोदी ने मांग की कि एनडीए के शासनकाल 2011 में बनी औद्योगिक नीति के महत्वपूर्ण प्रावधानों को नई औद्योगिक नीति में शामिल करने व क्षेत्रवार प्रोत्साहन नीति बनाने पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए.