हर युद्ध में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने दी कुर्बानी-दलबीर सिंह सुहाग

1424
0
SHARE

img-20161119-wa0016

सुधीर मधुकर.पटना. बिहार रेजिमेंट में आयोजित परेड के दौरान  थल सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने बिहार रेजिमेंट के शहीद योद्धाओं  को सलाम करते हुए उन्हें श्रधांजलि दी। सैन्य अधिकारियों, जवानों और उनके परिजनों को संबोधित करते हुए हुए जनरल सुहाग ने कहा कि  बिहार रेजिमेंट केंद्र में आना उनके लिए भी एक गौरव का पल है। बिहार रेजिमेंट का इतिहास वीर गाथाओं से भरा हुआ है। हर युद्ध में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने  देश पर मर मिटने की आस्था और अदम्य सहस का परिचय दिया  है। युद्धभूमि के अलावे खेल कूद में भी बिहार रेजिमेंट के जवानों ने अलग  पहचान बनायी है। देश के नागरिकों के प्रति अन्य कर्तव्यों के निर्वहन में भी बिहार रेजिमेंट की भूमिका सराहनीय रही है। जनरल ने कहा कि देश की रक्षा के लिए सेना कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है।

बिहार रेजिमेंट ने मनाया 75 वां स्थापना दिवस

बिहार रेजिमेंट अपना 75 वां स्थापना दिवस मना रहा है | जिसको लेकर बिहार रेजिमेंट केंद्र में 19 और 20 नवंबर को विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं| 15 सितम्बर 1941 को 11 वीं और 19 वीं हैदराबाद रेजिमेंट को मिला कर जमशेदपुर में बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन स्थापित की गयी | बटालियन को दिया युद्ध का नारा ‘बजरंग बली की जय’ आज भी जवानों के बीच प्रचलित हैं | आगरा में 1 दिसम्बर 1942 को  बिहार रेजिमेंट की 2 री बटालियन स्थापित की गयी |  1945 मे आगरा मे बिहार रेजिमेंटल सेंटर स्थापित किया  गया  । बाद में  2 मार्च 1949 को बिहार रेजिमेंटल सेंटर और प्रशिक्षण केंद्र को दानापुर मे स्थानांतरित  किया गया ।

                 बिहार रेजिमेंट की बटालियनों को मिला निशान

बिहार रेजिमेंट की 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं इन्फैंट्री बटालियन के इतिहास में 19 नवम्बर 2016 का दिन गौरवशाली पल के रूप में शामिल हो गया। बिहार रेजिमेंट केंद्र के गौड़ मैदान में आयोजित एक भव्य परेड में थल सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने तीनों बटालियनों को राष्ट्रपति निशान प्रदान किया। जिसे18 वीं बटालियन के  लेफ्टिनेंट भरत शेट्टी , 19 बटालियन के मेजर एपीएस रंधावा और 20 वीं बटालियन के मेजर एपीएस खेरा ने प्राप्त किया। निशान के झंडे को सैन्य प्रथा के अनुसार हॉलो स्क्वायर बना सलामी दी गयी।  झंडों के ऊपर  ग्लाइडर से पुष्पवर्षा की गयी। जिसके बाद परेड कमांडर ब्रिगेडियर एन राजकुमार के नेतृत्व में तीनों बटालियनों के 270 अधिकारियों और जवानों ने मिलिट्री बैंड की धुन पर मार्चपास्ट करते हुए सेनाध्यक्ष को सलामी दी।  इससे पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल सुहाग ने सैन्य परेड का निरिक्षण किया | और उच्च टर्न आउट की सराहना की।

वीर सैनिकों के परिजनों से मिले सेनाध्यक्ष

जनरल सुहाग ने बिहार रेजिमेंट के शहीद हुए सैनिकों  की पत्नियों से मुलाकात कर उन्हें हर सेना द्वारा संभव मदद किये जाने का आश्वासन दिया| थल सेनाध्यक्ष सैनिकों के परिजनों और पूर्व सैनिको से भी मिलकर उनका हाल जाना | स्कूलों से आये छात्र छात्राओं से भी मुलाकात की| सेनाध्यक्ष ने  स्पेशल कवर का विमोचन किया और  तीनों  बटालियनों के कमान अधिकारियों को दो दो लाख रुपये का चेक प्रदान किया | बिहार रेजिमेंट के कर्नल ऑफ़ रेजिमेंट और राष्ट्रिय राइफल के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल जीएस चंदेल, बिहार झारखंड सब एरिया जीओसी मेजर जनरल एसएस मामक सहित सैकड़ों कार्यरत एवं सेवानिवृत वरीय सैन्य अधिकारी साथ मौजूद थे|

मिलिट्री बैड ने सैनिको में किया वीरता का संचार

परेड के दौरान बिहार रेजिमेंट के नाम  मिलिट्री बैंड ने सारे जहां से अच्छा तथा अन्य देशभक्ति का संचार करने वाली धुनों को बजाया| युद्ध में जीत की गाथाओं की तरह के  मिलिट्री बैंडो की भी  लोकप्रियता की कहानियां है । यहाँ के मिलिट्री बैंड और पाइप बैंड  ने करीब  सभी राष्ट्रीय पर्वो और परेडो में हिस्सा ले अवार्ड जीता । रेजिमेंट सेंटर के किसी भी सैनिक कार्यक्रम में इन बैडो का धुन और उनके सुनहरे यूनिफॉर्म अपनी अलग ही छठा बिखेरते  है। सेंटर में एक वर्ष की ट्रेनिंग के बाद जब सैनिक शपथ लेते है उस वक्त से यानी सैनिक जीवन के पहले दिन से ही सैनिको में देशभक्ति का संचार इन्ही बैंडो की  धुनों से होता है। शनिवार की परेड  में पाइप बैंड के जवानो ने सैन्य  तरीको से अपना प्रदर्शन किया । बैंड की धुनों पर मार्च पास्ट करते जवान यह जता रहे थे कि कठोर अनुशासन और ड्यूटी   के बीच भी सैनिक कैसे खुश रह सकते है। पाइप बैंड  की स्थापना आजादी के पूर्व  जनवरी 1947 में सेंटर के पहले कमांडेंट कर्नल आरसी मुलर के निर्देश पर की गयी थी।

 

 

LEAVE A REPLY