नई दिल्ली.नोटबंदी के बाद काली कमाई से बेनामी सम्पत्ति बनाने वालों पर गाज गिर सकती है. नोटबंदी के फैसले से अकूत नगदी के तौर पर कालाधन रखने वाले अभी उबरे नहीं थे कि मोदी सरकार ने अब बेनामी सम्पत्ति बनाने वालों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है.
जो अपनी काली कमाई को रियल स्टेट/जमीन/घर खरीद फरोख्त के सौदे में लगा रहे थे अब उनके लिए मुश्किल दिन आ सकते हैं. लोगों की काली कमाई के बारे में किसी को खबर न लगे इसके लिए वे अपने ड्राइवरों और घरेलू नौकरों के नाम जमीन खरीद रहे थे लेकिन अब नए कानून के लागू होने से ऐसा करने वाले लोगों के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
हाल ही में एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काली कमाई रखने वाले लोगों को कड़ी चेतावनी दी थी कि कालाधन रखने वालों के लिए सिर्फ नोटबंदी ही काफी नहीं है. सरकार कुछ और कड़े कदम भी उठा सकती है. ऐसे में सरकार अब बेनामी सम्पत्तियों को निशाने पर ले सकती है.बेनामी सम्पत्तियों पर बना कठोर कानून प्रोहिबीशन ऑफ बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन्स एक्ट(पीबीपीटी एक्ट) एक नवंबर से लागू हो चुका है. इस कानून में प्रावधान है कि अगर सम्पत्ति एक व्यक्ति के नाम है और उसके खरीदने में पैसे किसी और ने दिए हैं तो इस सम्पत्ति को बेनामी माना जाएगा. जांच में अगर सम्पत्ति बेनामी साबित होती है तो कानून में सरकार द्वारा इसे रिकवरी करने का भी प्रावधान है. यानी सरकार इसे जब्त भी कर सकती है.
बेनानी सम्पत्ति रखने वालों को सबसे बड़ी डरने वाली बात यह है कि अगर कोई बेनामी सम्पत्ति रखने का दोषी पाया जाता है तो उसे सात साल तक के लिए जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ सकता है. जेल के साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. सात साल की सजा उन लोगों को होगी जिन्होंने बेनामी सम्पत्त्ति में पैसा लगाया और जो बेनामी सम्पत्ति रखते हुए भी सरकारी विभागों को झूठी जानकारी दी उसे पांच साल की जेल होगी. इतना ही नहीं बेनामी सम्पत्ति रखने वाले को मौजूदा मार्केट रेट का 25 फीसदी जुर्माना भी देना होगा.जानकारों का कहना है कि अगर सम्पत्ति एक करोड़ की है तो उसे 25 लाख रुपए जुर्माने के साथ सात साल की जेल होगी.