संवाददाता.पटना.भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि कानून बनाने के पहले सरकार जनता से राय लेती थी, परंतु पहली बार शराबबंदी कानून बनाने व लागू करने के छह माह बाद सरकार जनता से राय मांग रही है. मुख्यमंत्री बतायें कि पिछले छह महीने में जो सैकड़ों सुझाव आ चुके हैं क्या शराबबंदी कानून में संशोधन के लिए वे पर्याप्त नहीं है कि सरकार विज्ञापन निकाल कर जनता से सुझाव मांगने का नाटक कर रही है?
उन्होंने कहा कि भाजपा तो पहले दिन से ही विधान मंडल के दोनों सदनों में घर के सभी वयस्क सदस्यों को जेल भेजने, सार्वजनिक जुर्माना लगाने और परिसर को जब्त करने जैसे कठोर तालिबानी प्रावधानों का विरोध करती रही है. आखिर शराबबंदी कानून के तहत 18 हजार से अधिक लोगों को जेल में डालने व 3 लाख लीटर से ज्यादा शराब की जब्ती के बावजूद सरकार पूर्ण शराबबंदी लागू करने में विफल क्यों रही है? पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून पर कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिहार पुलिस राज्य में बदल जायेगा और होमियोपैथिक दवा में अल्कोहल के प्रयोग तथा ओद्यौगिक स्पिरिट के इस्तेमाल पर लगी रोक को पूरी तरह से खारिज कर दिया.परिणामतः मुख्यमंत्री को छह महीना के भीतर ही झुकना पड़ा है जो विपक्ष की नैतिक जीत है.
मोदी ने कहा-भाजपा प्रारंभ से ही शराबबंदी के समर्थन में रही है और बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में शराबबंदी कानून के तालिबानी प्रावधानों के संशोधन के लिए जो सुझाव दिए थे तब उसे अपने घमंड व अहंकार में मुख्यमंत्री ने नाकार दिया था, मगर अब सुप्रीम कोर्ट कहीं उसे निरस्त नहीं कर दे, इस डर से उन्हें संशोधन के लिए मजबूर होना पड़ा है. शराबबंदी कानून में संशोधन के लिए सरकार अविलम्ब सर्वदलीय बैठक बुलाए और इस पर आमसहमति बनाएं.