संवाददाता.मोतिहारी.केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बिहार सरकार को सलाह दी कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र की तरह बिहार सरकार भी किसानों को 4 प्रतिशत का ब्याज राहत मुहैया कराये ताकि उन्हें शून्य प्रतिशत पर कृषि ऋण मिल सके. बिहार में अभी किसानों को 7 प्रतिशत की ब्याज दर से जो ऋण मिलता है,उसका लगभग 3 प्रतिशत का ब्याज राहत केन्द्र सरकार देती है.
कृषि मंत्री ने ये बातें आज अपने गृह क्षेत्र मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा आयोजित प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) के सहकारिता सम्मेलन के अवसर पर कही. उन्होंने आगे कहा कि देश को अगर आगे बढ़ाना है, तो किसान, कृषि एवं गांवों को आगे बढ़ाना पड़ेगा. किसानों की आय में वृद्धि करनी पड़ेगी और इसके लिये कृषि में पुनः क्रांति लानी पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि देश की प्रारंभिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) कृषि एवं सहकारिता विकास के मुख्य आधार है. इन पैक्सों को गाँवों के स्तर पर संगठित किया जाता है तथा इसके सदस्य किसान होते है. आज बिहार राज्य में लगभग 8463 प्राथमिक सहकारी साख समितियां कार्य कर रही है तथा लगभग 521 व्यापार मंडल समितियां कार्यरत है तथा मोतिहारी जनपद में लगभग 372 प्राथमिक सहकारी समितियां कार्यरत है. उन्होंने कहा कि पैक्सों के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछडे एवं अति पिछडे वर्गों एवं महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पैक्सों में आरक्षण की भी व्यवस्था होनी चाहिए. इन पैक्सों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु संस्थागत सुधार करनी की भी जरूरत है. इन पैक्सों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन ऋण के साथ-साथ बीज खाद, कृषि यंत्र आदि प्रदान किया जाता है. उन्होंने कहा कि बिहार में पैक्सों को आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से जनवितरण प्रणाली के कार्य करने हेतु और अधिक अनुदान दिया जाना चाहिए. पैक्सों के माध्यम से धान एवं गेहूं की अधिप्राप्ति पूरी तरह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जिससे कृषकों को उनके उत्पादन का सरकार द्वारा घोषित उचित समर्थन मूल्य प्राप्त हो, साथ ही साथ इन पैक्सों को कृषकों के हितकारिक प्रजातांत्रिक मूल्यों पर आधारित संस्था के रूप में विकसित करना होगा.
कृषि मंत्री ने कहा कि भंडारण के क्षेत्र में बिहार के 50 प्रतिशत पैक्सों के पास अपने स्वयं के गोदाम नहीं है और जबतक भंडारण की क्षमता में वृद्धि नहीं होगी तब तक इस क्षेत्र के किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए समेकित सहकारी विकास परियोजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना एवं कृषि रोड मैप के अंतर्गत अधिक से अधिक पैक्स में गोदाम का निर्माण कराया जाना बहुत जरूरी है. लघु उद्योग के रूप में विकसित करने हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, कृषि रोड मैप के अंतर्गत चावल मिलों का भी स्थापित किया जाना चाहिए. पैक्सों को सामान्य व्यवसाय विशेषकर आफ सीजन में उर्वरक भंडारण हेतु पर्याप्त मार्जिन मनी उपलब्ध कराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार के समस्त 8463 प्रारंभिक सहकारी समितियों को कम्प्यूटरीकृत करने के लिए व्यापक प्रयास जारी है. इस कार्यक्रम में लगभग रू. 2000 करोड़ की लागत आएगी जिसका पचास प्रतिशत भाग केन्द्र सरकार द्वारा नाबार्ड के जरिये वहन किया जा रहा है तथा 45 प्रतिशत राज्य सहकार एवं 5 प्रतिशत जिला राज्य सहकारी बैंक द्वारा भुगतान किया जाएगा.
कृषि मंत्री ने इसके बाद मोतिहारी के जिला स्कूल मैदान में महिंद्रा एंड महिंद्रा के ट्रैक्टर वितरण समारोह में हिस्सा लिया. कृषि मंत्री ने इस मौके पर कहा कि उनके मंत्रालय ने देश भर मे कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 से कृषि यंत्रीकरण उपमिशन शुरू किया है जिसका मकसद छोटे और सीमांत किसानों तथा जहां कृषि यंत्रों की उपलब्धता कम है,वहां कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना है. छोटे जोत के वे किसान जो महंगी कृषि मशीन नहीं खरीद सकते, उनके लिए कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के माध्यम से कृषि मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है. उन्होंने कहा कि महिंद्रा एंड महिंद्रा, कृषि मशीनरी की मांग पूरा करने में हमेशा सबसे आगे रहा है.