‘आख़िर कब तक?’ कल से सिनेमा घरों में

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संवाददाता.पटना. पी एन  जे फिल्मस के बैनर तले बनी हिंदी फ़िल्म ‘आख़िर कब तक?’ कल से संपूर्ण बिहार-झारखंड के सिनेमा घरों में एक साथ प्रदर्शित की जाएगी. इस बात की जानकारी देते हुए फिल्‍म के निर्माता निशिकांत झा ने पटना में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि सेंसर बोर्ड ने फिल्‍म को यूए प्रमाणपत्र के साथ पास किया है. उन्‍होंने  बताया कि  सारी सामाजिक वर्जनाओं को दरकिनार कर वे ‘आख़िर कब तक?’ के जरिए मनोरंजन के साथ-साथ कई मुद्दों को इंगित करती है.

फिल्‍म के बारे में चर्चा करते हुए श्री झा ने कहा कि जाति धर्म के लफ़ड़ों से अलग एक सर्वथा व्यवहारिक बात को लेकर निशिकांत झा की फ़िल्म आगे बढ़ती है. लाख तरक्की के बाद भी हमारा देश, यहां का हर समाज,हर खेमा दहेज के शिकंजे से अब तक जकड़ा हुआ है. तरीके और स्वरुप भले ही बदले हुए है पर दहेज का ना लेना बंद हुआ है न उसके लिए दी जानेवाली प्रताड़ना ही ख़त्म हुई है. लेकिन ‘आख़िर कब तक?’ सिर्फ सैद्धांतिक रूप से दहेज़ का विरोध नहीं करती है, बल्कि इसके मूल्य कारणों पर भी ध्यान केंद्रित करती है.

वहीं, फ़िल्म के निर्देशक मिथिलेश अविनाश ने कहा कि अब दहेज़ को लेकर सिर्फ लड़की या लड़की पक्ष ही प्रताड़ित नही होते, इसका शिकार वर पक्ष भी हो रहे है. इन सारी विसंगतियों को खुलासा करती है ‘आख़िर कब तक?’ उन्‍होंने बताया कि फ़िल्म के मुख्य कलाकार मनीषा सिंह और विनय राणा है. दोनों हिन्दी फ़िल्म में पहली बार दिखाई देंगे. वहीं, मॉडल एक्ट्रेस मनीषा, तेलगु मराठी फिल्में कर चुकी है, तो ब्‍लॉक बस्‍टर फिल्‍म दबंग में पांडेय जी के किरदार से चर्चित हुए  रामसुजान सिंह भी इस फिल्‍म में मुख्‍य भूमिका में हैं. इनके साथ में आदित्य मोहन,  विनोद मिश्रा, मेहनाज श्राफ भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में है. रूप के गीत,जयंत आर्यन का संगीत और डी. के शर्मा का छायांकन सुंदर है. मनाली की वादियों में फिल्माये गए दो गीत बेहद खूबसूरत फिल्माये गए है. फिल्‍म के प्रचारक रंजन सिन्‍हा और अखिलेश सिंह हैं.

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