संवाददाता. पटना. भारतीय संस्कृति में भौतिकता और धन-वैभव की समृद्धि को नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता के विकास पर जोर दिया गया है. आज अर्थ-प्रधान संस्कृति और ‘भौतिकवाद’ के कुप्रभाव से पूरा विश्व त्रस्त है.ऐसे में भारतीय संस्कृति से सम्पूर्ण विश्व अभिप्रेरित और अनुप्राणित हो सकता है. उक्त विचार, महामहिम राज्यपाल राम नाथ कोविन्द ने चातुर्मास व्रत महोत्सव-सह-लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये.
पटना जिलान्तर्गत नौबतपुर के चिरौरा ग्राम में आयोजित समारोह में राज्यपाल ने कहा कि संविधान की ‘प्रस्तावना’ में भारत को ‘धर्मनिरपेक्ष’ राष्ट्र कहा गया है. इस ‘धर्मनिरपेक्षता’ का मतलब धर्मशून्यता नहीं है. ‘धर्मनिरपेक्षता’ का अर्थ यह है कि हम सभी धर्मों को समान आदर से देखेंगे. किसी धर्म के प्रति अनादर का भाव नहीं रखेंगे. धार्मिक सदाशयता भारतीय संस्कृति का प्राण-तत्व है. ‘हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई-आपस में सब भाई-भाई’ -इस विचार को हृदयंगम करते हुए ही हमारी राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रीयता का सही स्वरूप प्रतिपादित होता है.
श्री कोविन्द ने कहा कि वेद’ की भी उक्ति है-‘‘माता भूमिः, पुत्रोऽहं पृथिव्याः।’’ अर्थात्, यह भूमि, हमारी माँ है और हम सभी इसके पुत्र हैं. जब हम सभी इसी धरती माँ के बेटे हैं, तब फिर एक-दूसरे में भेद कैसा? विचार, सिद्धांत और आस्थाएँ अलग-अलग हो सकती हैं, परंतु उद्देश्य तो सबका एक ही है-पूरी मानव-सृष्टि का कल्याण और विकास. हमारी भारतीय संस्कृति तो शुरू से विश्वमैत्री और विश्वबंधुता पर जोर देती रही है. सभी सुखी रहें, सभी स्वस्थ रहें, सबका कल्याण हो, हमारी बराबर यही मंगलेच्छा रही है.
राज्यपाल ने तरेत पाली पीठ और स्वामी सुदर्शनाचार्य जी की सामाजिक सेवा व सांस्कृतिक सक्रियता आदि की प्रशंसा करते हुए कहा कि सेवाभावी धार्मिक संस्थाओं की सामाजिक सक्रियता का स्वागत किया जाना चाहिए. राज्यपाल ने राज्यवासियों को दीपावली, छठ-पूजा आदि पर्वों को उल्लास और प्रेमपूर्वक आयोजित करने का अनुरोध करते हुए अपनी शुभकामनाएँ भी दी.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि यज्ञादि धार्मिक अनुष्ठानों से सामाजिक समरसता विकसित होती है. कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं राज्यसभा सांसद डा सी॰पी॰ ठाकुर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा संजय पासवान, पूर्व केन्द्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह, पूर्व विधायक अनिल कुमार शर्मा एवं स्वामी हरि नारायणानन्द आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम में पूर्व विधायिका उषा विद्यार्थी, पूर्व विधायक रामजन्म शर्मा आदि भी उपस्थित थे.