संवाददाता.पटना.राज्य में एनडीए शासनकाल में उद्योगों में हुई प्रगति का बखान कर नीतीश कुमार अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. सच तो यह है कि जब से भाजपा सरकार से हटी है, तब से नये निवेशकों का बिहार से बुरी तरह से मोह भंग हो गया है. निवेश के लिए दिये गये वो प्रस्ताव भी ठंढे बस्ते में पड़ गये, जो एनडीए शासन के दौरान प्राप्त हुए थे. और जिस तरह फिर से बाहुबलियों के महिमामंडन की तैयारी हो रही है, उसके बाद तो यह निश्चित है कि नये निवेशकों का बिहार की ओर ताकना भी बंद हो जाएगा.
एक बयान में भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए यह सुझाव दिया कि अगर वास्तव में राज्य में उद्योग-धंधों को विकसित करना चाहते हैं तब सिर्फ भाषणबाजी छोड़कर एनडीए काल की तरह का माहौल बनायें. श्री यादव ने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद निवेशकों को आकर्षित करने के लिए योजनाओं के साथ-साथ माहौल भी बना. अपराध पर नियंत्रण कर निवेशकों के मन में सुरक्षा का भाव पैदा किया गया. तब जाकर परिणाम सामने आया और निवेश के प्रस्ताव आने प्रारंभ हुए.
उन्होंने कहा कि नीतीशजी आज जिन उद्योगों का बखान कर पीठ थपथपा रहे हैं, सब के सब उस दौरान के निवेश प्रस्ताव का ही कार्यरूप है. पर अब फिर से 2005 से पूर्व की स्थितियां बनती जा रही है. अपराधी तो बेलगाम हुए ही हैं, बाहुबलियों के जयकारे और महिमामंडन करने की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है.
श्री यादव ने कहा कि सूबे में जो मौजूदा माहौल है, उससे तो यहां के वर्तमान उद्योगपति ही दहशत में हैं. रंगदारी और अपहरण के साथ ही हत्याओं की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. सरकार ऐसे मामलों पर नियंत्रण में तो पूरी तरह से विफल रही है, जेल में बंद सत्ता समर्थित बाहुबलियों के मुकदमों में भी जानबूझकर कमजोर पक्ष रखा जा रहा है. इतना ही नहीं जमानत पर छूटे बाहुबली को महिमामंडित करने की तैयारी है. नीतीश जी एक तरफ बिहार में उद्योगों को विकसित करने के लिए निवेशकों को आकर्षित करने की बात कह रहे हैं, दूसरी तरफ दहशत का माहौल बनाया जा रहा है. ऐसे में उद्योगों की विकास असंभव है.