संवाददाता.पटना.पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगर अनन्त सिंह से समान्य कानून व्यवस्था और लोकजीवन को खतरा बता कर उनपर सीसीए लगाया जा सकता है तो पूरे बिहार में दशकों से दहशत के पर्याय रहे मो. शहाबुद्दीन को जेल से निकालने के लिए सरकार इतनी उतावली क्यों है? क्या यह सच नहीं है कि जेल में जाकर सरकार के मंत्री के मिलने, खुले आम दरबार लगाने वाले आतंक के पर्याय शहाबुद्दीन के दहशत के कारण ही पत्रकार राजदेव हत्याकांड में पुलिस उनसे पूछताछ की हिम्मत नहीं जुटा पाई?
उन्होंने कहा कि सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से राजद की सर्वोच्च नीति निर्धारण टीम में शामिल मो. शहाबुद्दीन को जेल से बाहर निकालने का रास्ता प्रशस्त कर दिया है. राजीव रौशन हत्याकांड में जब कोर्ट ने विगत 03 फरवरी, 2016 को छह महीने के भीतर ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया तो एक सोची-समझी रणनीति के तहत सरकार ने ट्रायल नहीं होने दिया ताकि शहाबुद्दीन को बेल मिल जाए. क्या अनन्त सिंह की ही तरह मो. शहाबुद्दीन पर भी सरकार क्राइम कंट्रोल एक्ट (सीसीए) लगाने का निर्णय लेगी?
सुशील मोदी ने कहा कि क्या अब जंगल राज के प्रतीक रहे मो. शहाबुद्दीन के साथ लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंच साझा करते दिखाई पड़ेंगे? शराबबंदी के खिलाफ मुकदमे की पैरवी के लिए दिल्ली से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ताओं को बुलाने वाली सरकार ने शहाबुद्दीन के मामले को महाधिवक्ता, अपर महाधिवक्ता के बजाए कनीय विधि अधिकारियों के जिम्मे क्यों सौंप दिया था?जिस तरह से जेल में रह कर मो. शहाबुद्दीन ने सीवान सहित पूरे बिहार में अपना आतंक कायम कर रखा है, उनके जेल से बाहर आने की सूचना मात्र से लोगों में डर पैदा हो गया है.