निशिकांत सिंह.पटना.दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐन्ड इंडस्ट्री यानि डिक्की (DICCI), भारत की अर्थव्यवस्था में एक क्रांतिकारी कदम है जिसकी बदौलत उद्योग एवं व्यापार, आंत्प्रेन्योरशिप एवं स्टार्ट- अप के क्षेत्र में चले आ रहे एकाधिकारवादी एवं एकपक्षीय व्यवस्था को जमीनी स्तर पर ले जाकर बहुपक्षीय एवं बहुआयामी बनाने में लगा है.फिलहाल डिक्की के 21 राज्यों सहित 7 अंतर्राष्ट्रीय चैप्टर स्थापित हैं. इसी कड़ी में डिक्की की बिहार राज्य इकाई की आधिकारिक स्थापना व घोषणा 10 सितम्बर, 2016 को की जाएगी.
डिक्की (DICCI) के नॉर्थ इंडिया एडवाइजर डॉ0 राजेश पासवान ने पटना में एक संवादाता सम्मलेन में उपरोक्त जानकारी देते हुए बताया कि डिक्की से जुड़े सभी सदस्य दलित उद्यमी हैं. डिक्की के जुड़े सदस्य उद्योग- व्यापार के बड़े ही विस्तृत क्षेत्र व फलक पर अपनी क्षमता को स्थापित कर रहे हैं, डिक्की का टैग- लाइन/ स्लोगन है: “BE JOB GIVER.” हम दलित समाज को नौकरी देने की ताकत और हैसियत दिलाने में विश्वास करत हैं.डिक्की तीन स्तरों पर काम कर रहा है. पहला, सभी दलित उद्यमियों को एक मंच पर लाना. दूसरा, उद्यम के क्षेत्र में नामचीन, प्रयासरत एवं संघर्षरत सभी दलित उद्यमियों के लिये एक वन- स्टॉप रिसोर्स सेंटर की स्थापना करना. तीसरा, दलित समाज के भीतर स्कील डेवलपमेंट एवं आंत्रप्रेन्योरशिप के प्रति जागरूकता करना.
उन्होंने कहा कि डिक्की ने दिल्ली सहित देशभर और विदेशों में अनेक व्यापार मेले का आयोजन किया है जिसके तहत दलित उद्यमियों की प्रतिभा व उपलब्धियों को एक्सपोजर मिला है.डिक्की की बदौलत हम तकरीबन 500 दलित उद्यमियों को वेन्डर/ सप्लायर के तौर पर कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) के सदस्य कंपनियों के साथ जोड़ने में सफल हुये हैं.हाल ही में भारत सरकार के द्वारा “स्टैंड अप इंडिया” कार्यक्रम को लांच किया गया है जिसको दलित समाज व इनके उद्यमियों के बीच सफल बनाने में डिक्की की महती भूमिका है.
उन्होंने बताया, भारत सरकार ने SC- ST और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोमोट करने के लिये 10 लाख से 100 लाख तक के लोन बिना की कोलैटेरल सेक्युरिटी के देने का प्रावधान किया है. भारत सरकार के इस नयी साहसिक नीति से देशभर में राष्ट्रीयकृत बैंकों की लगभग 1.25.000 शाखाओं के माध्यम से SC- ST और महिलाओं के 2.50 उद्यमी आर्थिक सहायता लेकर अपने सक्षम बन सकेंगे. यह देश में अब तक का लागू सबसे बड़ा फाइनांसियल इन्क्लूजन प्रोग्राम- साबित होगा.इसके अलावा डिक्की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दलित उद्यमियों के सहयोगी कंपनियों की तलाश करने के लिये नेटवर्क लिंकेज को बढ़ाने- बनाने व स्थापित करने में लगी है ताकि एक्सपोर्ट- इम्पोर्ट मार्केट में भी हम बड़े स्तर पर सहयोगी भूमिका निभा सके.