संवाददाता.रांची.मुख्यमंत्री रघुववर दास ने कहा कि झारखंड का टोपोग्रारफी वर्षा जल संचय के लिए सर्वथा अनुकूल है. यहां वर्षा भी पर्याप्त होती है. आवश्यकता है जल संचय कर इसका समुचित उपयोग करने की. सरकार इस दिशा में माईक्रोलेवल प्रोजेक्ट बनाकर कार्यान्वित कर रही है. जल प्रबंधन में झारखंड को रोल मॉडल बनाना है.
भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय के ओएसडी डॉ अमरजीत सिंह के नेतृत्व में आई टीम से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि यह टीम झारखंड में वर्षा जल व भूमितल जल के प्रबंधंन पर काम करेगी. उन्होंने कहा कि झारखंड के किसान अपने खेतों में अधिक से अधिक फसल उगा सके इसके लिए सरकार प्रयत्नशील है. केन्द्रीय टीम ने कहा कि झारखंड में कम अवधि में तैयार होने वाले धान के फसल को करने एवं दलहन की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. धान का पैदावार इस पर निर्भर करता है कि हम किस किस्म की धान लगाते हैं एवं इसे लगाने की विधि कौन सी है. धान के फसल के पैदावर के बाद दलहन की खेती के लिए जमीन में आवशयक नमी बची रह जाती है. इसमें दलहन की खेती की जा सकती है. दलहन की खेती के लिए कम मात्रा में पानी की जरूरत पड़ती है, जिसे वर्षा जल के संचय से पूरा किया जा सकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में 1 लाख 86 हजार डोभा का निर्माण किया गया है. केन्द्रीय टीम ने कहा कि जल संचय के बाद आवश्यकता होती है पटवन की. पटवन के लिए उर्जा का उपलब्ध होना आवश्यक है. इसके लिए उर्जा के वैकल्पिक श्रोत का उपयोग करना होगा. सोलर पम्प इसमें सहायक सिद्ध होगा. वैसे इलाके जहां पर भूमि जल उपलब्ध है, वहां पर बड़े आकार का कुंआ बनाया जा सकता है. बड़े आकार के कुंआ बनने से भूमि जल आहिस्ते-आहिस्ते रिस कर जमा होता है,इस जल का उपयोग छोटे पम्प के सहारे भूखंड में कृषि कार्य के लिए किया जा सकता है. उन्नत तकनीकी का उपयोग करते हुए यहां निर्मित डोभा में संचित जल से रिचार्ज किया जा सकता है, जिसका उपयोग गर्मी के दिनों में कृषि कार्य के लिए हो सकता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्वर्ण रेखा परियोजना के शेष कामों को शीघ्र पूरा करना चाहती है. इसके पूरा होने से आस-पास की जमीन के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो जाती. इससे कृषकों को लाभ होगा. डॉ सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार स्वर्ण रेखा परियोजना को पूरा करने के लिए नाबार्ड के साथ एम0ओ0यू0 कर चुकी है. शीघ्र 60 प्रतिशत केन्द्रांश रिलीज किया जाए एम0ओ0यू0 में ऐसी व्यवस्था की गई है कि राज्य सरकार भी 40 प्रतिशत राज्यांश के लिए नाबार्ड का सहयोग ले सकती है.
बैठक में विकास आयुक्त अमित खरे, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, प्रधान सचिव सुखदेव सिंह, प्रमोद बिहार गिरि, आलोक के0 सिक्का, सिल्क वर्मा समेत अन्य लोग उपस्थित थे.