संवाददाता.रांची. संविधान सभी देशवासियां को एक समान समाजिक प्रतिष्ठा और अवसर का अधिकार प्रदान करती है. लोकतंत्र महज सरकार का एक रूप नहीं. यह मुख्य रूप से एक दूसरे से जुड़े रहने की एक विद्या है. संयुक्त संवाद एवं विचारों का अनुभव है. यह अनिवार्य रूप से सभी देशवासी के प्रति सम्मान और श्रद्धा का एक दृष्टिकोण है. सुदेश महतो आज अखिल झारखण्ड पिछड़ा वर्ग महासभा के राज्यस्तरीय प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
सशक्त झारखण्ड, सशक्त समाज के बिना नहीं बन सकता और समाजिक न्याय के आधार पर ही सशक्त समाज का निर्माण हो सकता है. लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी. झारखण्ड में पिछड़े वर्गां की आबादी 46 प्रतिशत है। राज्य में कुल 129 विभिन्न जातियों को पिछड़े वर्ग की सूची में समायोजित किया गया है.
मंडल कमिशन द्वारा प्रस्तावित 27 प्रतिशत आरक्षण को भी सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी दी. केन्द्र सरकार में पिछड़ो को 27 प्रतिशत आरक्षण दी गई है. बिहार में 33 प्रतिशत, कर्णाटक में 32 प्रतिशत, तमिलनाडु में 50 प्रतिशत, केरल में 40 प्रतिशत, ओड़िसा/गुजरात/हरियाणा में 27 प्रतिशत तथा राजस्थान में 21 प्रतिशत है। देश में अग्रिम जाति के औसतन अनुपात 36 प्रतिशत है जबकि झारखण्ड में सिर्फ 15 प्रतिशत. इसलिए भी जनसंख्या अनुपात के आधार पर झारखण्ड में विशेष आरक्षण (50 प्रतिशत से ज्यादा) होना चाहिए.
महतो ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित जिलास्तरीय नौकरियां में अनुसूचित क्षेत्रों में शत प्रतिशत नौकरी स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित किया गया है. झारखण्ड के छह जिले ऐसे है जहां पिछड़े वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में कोई आरक्षण नहीं है. संवैधानिक आधार पर पिछड़ो के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाय. इस बात का भी ख्याल रखा जाय कि किसी भी समुदाय के लिए आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था में कोई कटौती न हो.
मैथन सभागार (बरियातु रोड़, राँची) में ‘‘सामाजिक न्याय और विकास’’ की सोच को गति देने के लिए ‘‘अखिल झारखण्ड पिछड़ा वर्ग महासभा’’ के राज्यस्तरीय प्रतिनिधि सम्मेलन में पूरे राज्य से पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए चन्द्रप्रकाश चौधरी, मंत्री, झारखण्ड सरकार, ने कहा कि मैने मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि सभी प्रकार के नौकरियों तथा शिक्षण संस्थानों में पिछड़ो का 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाय. इतना ही नहीं मैने ये भी आग्रह किया है कि पिछड़ो के साथ साथ अनुसूचित जनजाति की सीमा को 32 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति की सीमा को बढ़ाकर 14 प्रतिशत किया जाय.
राजकिशोर महतो, टुण्डी विधायक ने कहा कि झारखण्ड राज्य पिछड़ा आयोग का गठन जिस उद्देश्य के लिए किया गया है वह नहीं हो पा रहा है. विकास सिंह मुण्डा, तमाड़ विधायक ने कहा कि झारखण्डियों को एक मंच में आना होगा और अपने सामाजिक दायित्व को निभाना होगा.
सम्मेलन में राज्य में पिछड़ों की स्थिति पर चर्चाऐं हुई तथा भविष्य की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया. यह निर्णय लिया गया कि महासभा पिछड़ो के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ेगी और इस हेतु पिछड़ो को एकजुट करेगी.
प्रतिनिधि सम्मेलन को रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ एल०एन० भगत, सी.सी.एल. के सेवानिवृत मुख्य प्रबंधक जे.एन. सिंह, सेवा निवृत भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी बी.के. चांद, आजसू के मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत, आजसू के उपाध्यक्ष हसन अंसारी, अखिल झारखण्ड पिछड़ा वर्ग महासभा के प्रदेश स्तरीय संयोजक मंडली के सदस्य सुबोध प्रसाद, रामाशीष यादव, दामोदर महतो, सतीश चंद्रवंशी, डॉ दीपक कुमार, साधु शरण गोप, डॉ अजय कुमार एवं ममता मौर्या आदि वक्ताओं ने भी संबोधित किया .