परिश्रम, इच्छाशक्ति और संकल्प,लक्ष्य के लिए आवश्यक हैः राज्यपाल

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निशिकांत सिंह.पटना.पटना विश्वविद्यालय ने आज अपना दीक्षांत समारोह मनाया.इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल व कुलाधिपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि  ‘‘कठिन परिश्रम, इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प- इन सब का कोई दूसरा विकल्प नहीं है, अपने लक्ष्य को हासिल करने का. कोई भी लक्ष्य छोटा नहीं होता, सभी लक्ष्य अपनी सार्थकता द्वारा सदैव महत्वपूर्ण बने रहते हैं. राज्यपाल आज स्थानीय एस॰के॰मेमोरियल हॉल में आयोजित ‘दीक्षांत समारोह’ को संबोधित कर रहे थे.

कुलाधिपति ने कहा कि आज वैश्वीकरण के दौर में ज्ञान- विज्ञान और तकनीक के नए क्षितिज खुल रहे हैं तथा युवाओं के दायित्व और अधिक बढ़ रहे हैं .उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों की आंतरिक और आधारभूत संरचना समुचित रूप में विकसित नहीं हो पायी है, किन्तु संसाधनों की कमी के बावजूद, हमारी इच्छा-शक्ति में जरा भी कमी नहीं है. कतिपय अभावों के बावजूद हम नई पीढ़ी को निरन्तर तराश रहे हैं. उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज जब आप अपनी उच्चतम डिग्रियाँ लेकर घर जायेंगे, तो ये डिग्रियाँ आपका भविष्य के सुनहरे सपनों के लिए प्रमुख दस्तावेज बनेंगी. उन्होंने कहा कि  जिनको पीएच॰-डी॰ की डिग्री प्राप्त हुई है, उन्हें जीवन के  नए अनुभवों पर और भी शोध करने होंगे तथा देश और समाज को और भी बेहतर बनाना होगा. जिन्हें ‘गोल्ड मेडल्स’ मिल रहें हैं, उन्हें और भी नई भूमिकाओं के निर्वहन हेतु तैयार रहना होगा तथा समाज को नई दिशा देने के लिए नेतृत्वकारी भूमिका निभानी होगी.

कुलाधिपति ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय का गौरवमय इतिहास रहा है. इस विश्वविद्यालय के कई शिक्षक और छात्र ‘पद्मश्री’ सम्मान प्राप्त कर चुके हैं तथा इन्हें साहित्य अकादमी और राजभाषा पुरस्कार भी मिल चुके हैं. राज्यपाल ने डिग्री प्राप्त करनेवाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी. राज्यपाल ने कहा कि 42 स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या 29 है, जो समाज में बेटियों की प्रतिभा और प्रतिष्ठा का परिचायक है. उन्होंने ओलम्पिक में पदक प्राप्त करने वाली पी॰वी॰ सिन्धू और साक्षी को भी भारत को गौरवान्वित करने के लिए बधाई दी.

समारोह में ‘दीक्षांत भाषण’ देते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल  सी॰ विद्यासागर राव ने कहा कि बिहार ज्ञान की भूमि रही है और स्वतंत्रता-आंदोलन में भी इसकी अग्रणी भूमिका रही है. उन्होंने कहा कि विश्व के शीर्ष दो सौ उच्च शिक्षण संस्थानों में भारत के सिर्फ दो विश्वविद्यालयों का सम्मिलित होना चिन्ता की बात जरूर है, परन्तु अगर हम अपने उच्च शिक्षण संस्थानों को ‘सेन्टर ऑफ एक्सेलेन्स’ के रूप में विकसित करें और आधुनिक औद्योगिक और सामाजिक जरूरतों के दृष्टिकोण से सुदृढ़ीकृत करें, तो कोई कारण नहीं कि हम उच्च शिक्षा की दृष्टि से भी उत्कृष्ट बन जायेंगे.

समारोह में पटना विश्वद्यिालय के कुलपति वाई॰सी॰सिम्हाद्रि ने पटना विश्वविद्यालय की प्रगति का उल्लेख करते हुए भावी कार्य-योजनाओं की भी चर्चा की. समारोह में बिहार एवं महाराष्ट्र के राज्यपालों तथा बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी को स्मृति-चिह्न भी भेंट किया.

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