निशिकांत सिंह.पटना. बिहार में 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-13 से 2015-16) के लिए स्वीकृत उद्व्यय 165128.96 करोड रू0 के विरूद्ध वास्तविक व्यय की राशि 158548.23 करोड़ रू0 है.यह निर्धारित लक्ष्य का 96.01 है. अर्थात् बिहार ने लगभग शत-प्रतिशत राशि खर्च की है. 2004-05 की तुलना में आधारभूत संरचना एवं सामाजिक प्रक्षेत्र में 2016-17 के राज्य योजना उद्व्यय में क्रमिक 21 एवं 27 गुनी वृद्धि हुई है.
आंकड़ों के आधार पर विकास के पथ पर बिहार को लगातार गतिशील बताते हुए सूचना भवन के ‘संवाद’कक्ष में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव डा. दीपक प्रसाद ने दी और दावा किया कि बिहार का ग्रोथ रेट ज्यादा है.
डा0 प्रसाद ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में स्वीकृत उद्व्यय 57137.62 करोड़ रू0 के विरूद्ध 54658.81 करोड़ रू0 के व्यय से 95.66 प्रतिशत खर्च की बात बताई। वर्ष 2004-05 की तुलना में वर्ष 2016-17 में 26 गुना योजना उद्व्यय में वृद्धि की जानकारी भी उन्होंने दी. केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के संबंध में उन्होंने बताया कि 13वें वित आयोग के फार्मूले के आधार पर बिहार को अधिक राशि मिलती लेकिन 14वें वित आयोग के फार्मूले में ढाई हजार करोड की नाममात्र राशि अधिक मिली और लगभग बारह हजार करोड़ की राशि कम मिली. केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में केन्द्रांश तथा राज्यांश के नए फार्मूले से भी बिहार को काफी नुकसान हुआ है.
बीआरजीएफ के तहत उन्होंने बताया कि 12वीं पंचवर्षीय योजना अंतर्गत भारत सरकार द्वारा राज्य के लिए पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत स्पेशल प्लान अंतर्गत 12 हजार करोड़ रू0 स्वीकृत किए गए जिसमें से 1500 करोड़ 10वीं एवं 11 वीं पंचवर्षीय योजना की लंबित परियोजनाओं के मद में थी तथा 10500 करोड़ नई परियोजनाओं हेतु तदनुसार नई परियोजनाओं में 9 परियोजनाएँ कुल 9507.92 करोड़ रू0 की स्वीकृति नीति आयोग ने की है जिसमें 8 ऊर्जा प्रक्षेत्र की तथा एक पथ प्रक्षेत्र की परियोजना है. शेष राशि हेतु भी 2 परियोजनाएँ (902.8 करोड़ रू0)स्वीकृति के लिए नीति आयोग के पास लम्बित हैं.
डा. प्रसाद ने बताया कि योजना प्रधिकृत समिति द्वारा वर्ष 2015-16 में 384 योजनाएँ (123000.53 करोड़ रू0) तथा 2016-17 में माह जुलाई तक 91 योजनाएँ (33771.20 करोड़ रू0 ) अनुशंसित है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के सात निश्चय कार्यक्रमों के तहत मुख्यमंत्री स्वयंसहायता भत्ता योजना के संदर्भ में जानकारी दी कि 20 से 25 वर्ष आयु वर्ग के 12वीं कक्षा उतीर्ण बेरोजगार युवक/ युवतियों को रोजगार की तलाश हेतु 1000/- रू0 प्रति माह की दर से अधिकतम 2 वर्षो के लिए वितीय सहायता प्रदान की जानी है. इसका शुभारंभ 2 अक्टूबर, 2016 से होना है. इसके तहत आवेदकों के निबंधन हेतु प्रत्येक जिले में जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र भवन निर्माणाधीन है. यह भवन 24 हजार स्क्वायर फीट में बनेगा जिसमें न्यूनतम 24 काउंटर्स रहेंगे. इस परामर्श केन्द्र पर स्वयंसहायता भत्ता के अलावे स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना एवं कौशल विकास विषयक आवेदकों का भी निबंधन किया जाएगा. इसपर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 1371.00 करोड़ रू0 का व्यय अनुमानित है. जब पूछा गया कि कब से चालू होगा तो कहा गया कि अक्टूबर से, जब पूछा गया कि भवन सब बनकर तैयार है तो कहा गया कि अभी नहीं बना है. यह सोचने वाली बात है अक्टूबर माह से लागू होने वाला हर जिला में लेकिन कहीं पर तैयारी नहीं है.