राज्य में सक्रिय नक्सली, पुलिस पर कितने भारी?

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निशिकांत सिंह.पटना.बिहार के नक्सली भी अत्याधुनिक हथियारों से लैस हो रहे हैं. अभी हाल में औरंगाबाद में नक्सली मुठभेड़ के बाद कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिसे सरकार को गंभीरता से लेने की जरूरत है.राज्य में नक्सली कई तरह के अत्याधुनिक आईईडी व हथियारों का इस्तेमाल कर रहे है जिसके कारण न सिर्फ रणनीति मामले में बल्कि मुठभेड़ में भी नक्सली पुलिस पर भारी पड़ रहे हैं.

नक्तली गैस सिलेंडेर,लोहे के पाईप,टिफिन बॉक्स का इस्तेमाल आइईडी बनाने में कर रहे हैं. नक्सली ये बम खुद बनाते है. इसका ट्रेनिंग सरांडा(झारखंड) के जंगल में दिया जाता है. नक्सलियों के पास राकेट लॉंचर से लेकर एके47 तक के हथियार है. बारूदी सुरंग विस्फोट के बाद तत्काल वो सब फायरिंग शुरू कर देते है जिससे सुरक्षा बलों को मोर्चा संभालते-संभालते कई घायल हो जाते है.

सीआरपी के जवान और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ के बाद खुफिया विभाग का कहना है कि उनके पास हथियार नेपाल के रास्ते चीन से आता है. वहां से तस्कर बिहार और झारखंड के नक्सलियों को सप्लाई करते है. वहीं से हथियारों का जाखिरा आता है. खासकर उत्तर बिहार में जब से नक्सली सक्रिय हुए है तब से इन्हे आसान होती है नेपाल के रास्ते हथियार लाना.

औरंगाबाद में भी हाल में यही हुआ. औऱंगाबाद एसपी की भूमिका संदेह के घेरे में है.विश्वस्त सूत्रों के अनुसार एसपी बाबूराव के नेतृत्व में पुलिस बल के साथ सीआरपी के कोबरा बटालियन के साथ जंगल में सर्च ऑपरेशन कर रही थी. तभी विस्फोट हुआ और जवानों के मोर्चा संभालते संभालते में कई जवान गंभीर रूप से घायल हो गए. और जैसे ही विस्फोट हुआ कोबरा बटालियन के जवान मोर्चा संभाल रहे थे और  औरंगाबाद एसपी विस्फोट की आवाज सुनकर पुलिस के साथ भाग खड़े हुए.संदेह के घेरे में आए एसपी पर  गाज गिरने की संभावना बढ गई है.  जवान घायल होने के बाद कई घंटों तक पड़े रहे. उनके इलाज की तत्काल व्यवस्था नहीं की गई. अगर तत्काल व्यवस्था होती तो शहीदों की संख्या कम होती.

जरूरत है सरकार को नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने की. तभी राज्य  का विकास हो सकता है. नहीं तो विकास के पैसे पर नक्सली लेवी वसूली करते रहेंगें  और उस पैसे का इस्तेमाल सरकार के खिलाफ ही करते रहेंगें. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में खासकर पटना, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद,गया,रोहतास,नवादा,भभुआ एवं नालंदा जिला में जमकर लेवी की वसूली करते है. डर से कोई ठीकेदार मामले की शिकायत थानों में नहीं करते. आज भी इन जिलों के ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती है. लोग नकस्लियों के डर से मुंह नहीं खोल पाते है. जो खोलने की कोशिश करते है उनकी हत्या हो जाती है. अभी कुछ दिन पूर्व औरंगाबाद के अंबा कुटूंबा थाना क्षेत्र में पुलिस की मुखबिरी के आरोप में ही हत्या हुई थी. राज्य सरकार जबतक गंभीर नहीं होगी तबतक नक्सली राज्य में अपना पैर पसारते रहेंगे. जवान शहीद होते रहेंगे.और मुआवजा देकर सरकार अपना फर्ज पूरा कर लेने ड्रामा करती रहेगी.

 

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