कांग्रेस के दिग्गजों ने कतर दिए प्रशांत किशोर के पर

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prashant-kishore

प्रमोद दत्त.

चुनाव प्रबंधन के ब्रांड बन चुके प्रशांत किशोर के बढते कद को कांग्रेस ने औकात में ला दिया है.जदयू जैसी क्षेत्रीय पार्टी में निर्णायक भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर को कांग्रेस ने सलाह देने की सीमा में बांध दिया है.अगर यह कहा जाए कि कांग्रेस के दिग्गजों ने प्रशांत के पर कतर दिए तो गलत नहीं होगा.

2014 के लोकसभा चुनाव से उभरे प्रशांत किशोर अचानक भारतीय राजनीति में इस तरह चर्चा में आए जैसे टीम इंडिया का वर्ल्ड कप जीतना या भारतीय सेना का करगिल युद्ध में जीतना चर्चा में आया.चर्चा में आना स्वाभाविक भी था क्योंकि लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी को उम्मीद से बेहतर जीत मिली और फिर बिहार के विधानसभा चुनाव में नीतीश-लालू के पक्ष में पासा ही पलट गया.लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर भाजपा व मोदी के पक्ष में ब्रांडिंग का काम कर रहे थे तो बिहार के चुनाव में उन्होंने जदयू व नीतीश कुमार के लिए चुनाव प्रबंधन का काम किया.जदयू में तो प्रशांत की भूमिका टिकट देने से लेकर सरकारी निर्णय में भी महत्वपूर्ण हो गई थी. चुनाव में निर्णायक भूमिका में आए प्रशांत किशोर को चुनाव बाद भी नीतीश कुमार ने उन्हें सरकार संचालन का हिस्सा बना दिया,जिसके कारण न सिर्फ विपक्ष ने इसकी आलोचना की बल्कि जदयू व राजद के कई वरिष्ठ नेता नाराज भी हुए.

अपनी तीसरी पारी की शुरूआत प्रशांत किशोर ने कांग्रेस से शुरू की.कांग्रेस ने यूपी और पंजाब चुनाव की जिम्मेदारी प्रशांत किशोर को सौंपी.शुरूआत में ही प्रशांत ने अपने काम के स्टाइल से बता दिया कि वे कांग्रेस में भी निर्णायक भूमिका निभाएंगें.टिकट के लिए कांग्रेसी उम्मीदवार प्रशांत की परिक्रमा भी करने लगे.अपने आभा मंडल से उन्होंने यह कोशिश भी शुरू कर दी कि वे सीधे सोनिया गांधी और राहुल गांधी को रिपोर्ट करें.कांग्रेस के दिग्गजों को यह नागवार गुजरा.पुराने नेताओं ने आलाकमान को यह समझाया कि प्रशांत किशोर शुद्ध रूप से पेशेवर हैं जिनकी कोई राजनीतिक प्रतिबद्धता नहीं है.ऐसी स्थिति में सबकुछ उनपर सौंप देना जोखिम भरा निर्णय होगा.

कांग्रेस दिग्गज आखिर सफल हुए और प्रशांत किशोर का पर कतरते हुए उन्हे सलाहकार की भूमिका में बांध दिया गया.कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उन्हें साफ-साफ कह दिया गया है कि यूपी व पंजाब चुनाव को लेकर वे रणनीति बनाएं और यूपी मामले में शीला दिक्षित,गुलाम नबी आजाद व राजब्बर को तथा पंजाब मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह व अंबिका सोनी को रिपोर्ट करें.उनकी सलाह को मानना या न मानना इन वरिष्ठ नेताओं व आलाकमान की मर्जी पर होगा.

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सन् 1980 से पत्रकारिता. 1985 से विभिन्न अखबारों एवं पत्रिकाओं में विभिन्न पदों पर कार्यानुभव. बहुचर्चित चारा घोटाला सहित कई घोटाला पर एक्सक्लुसिव रिपोर्ट, चारा घोटाला उजागर करने का विशेष श्रेय. ‘राजनीति गॉसिप’ और ‘दरबारनामा’ कॉलम से विशेष पहचान. ईटीवी बिहार के चर्चित कार्यक्रम ‘सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार’, साधना न्यूज और हमार टीवी के टीआरपी ओरियेंटेड कार्यक्रम ‘पड़ताल - कितना बदला बिहार’ के रिसर्च हेड और विभिन्न चैनलों के लिए पॉलिटिकल पैनलिस्ट. संपर्क – 09431033460

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