संवाददाता.पटना.पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार में शराब बंदी के बाद अपराध घटने के नीतीश कुमार के दावे का प्रमाण है आज सासाराम कोर्ट परिसर में धमाका.उन्होंने कहा कि आरा और छपरा कचहरी परिसर के बाद सासाराम कोर्ट के करीब हुए बम धमाके ने बता दिया कि अपराधियों का दुस्साहस कितना बढ़ गया है.सवाल है कि डाक्टरों, इंजीनियरों और व्यापारियों को दहशत में रखकर रंगदारी-फिरौती का धंधा करने वाले आपराधिक समूह क्या अब धमाकों से न्यायपालिका को दबाना चाहते हैं?
मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 में नीतीश सरकार ने 5 निजी विश्वविद्यालय खोलने का लक्ष्य रखा था. ढाई साल में एक भी विश्वविद्यालय नहीं खुला. राज्य सरकार विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए जमीन नहीं दे रही है. राज्य के विश्वविद्यालयों में से एक भी देश के टाप 50 शिक्षण संस्थानों में नहीं है.नालंदा में आक्रमणकारियों ने एक प्राचीन विश्वविद्यालय को खंडहर बना दिया था, लेकिन आधुनिक नालंदा के रहने वाले नीतीश कुमार के शासन में बिहार की पूरी शिक्षा ही खंडहर में बदल गई है.
सुशील मोदी के आरोपों का जबाब देते हुए जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि सासाराम धमाके की सही स्थिति सुशील मोदी नही जानते है. एक व्यक्ति अपने मोटरसाईकिल से डेटोनेटर ले जा रहा था, जिसका नाम सचिन कुशवाहा है. ये अपने मोटरसाईकिल की सीट के नीचे जहां टूल बॉक्स होता है उसमें डेटोनेटर ले जा रहा था. ये जीटी रोड से जा रहा था. इस व्यक्ति का सासाराम कोर्ट से कोई संबंध से नही है. कोर्ट बिलकुल सुरक्षित है. पुलिस इसकी जांच कर रही है. प्रशासन हर बिंदु पर जांच कर रही कि आखिर ये डेटोनेटर कहां जा रहा था और किसके लिए जा रहा था . जिसकी मृत्यु हुई है उसकी भी जांच चल रही है और घायल है उसकी पडताल चल रही है. पुलिस जांच करके दोषियों तक जरुर पहुंचेगी और उन्हे सलाखों के पीछे भेजा जाएगा.
संजय सिंह ने कहा कि सुशील मोदी का दिमाग ही खंडहर हो गया है. जिस नालंदा विश्वविद्यालय को आक्रमणकारियों ने खंडहर बना दिया था उसे नीतीश कुमार फिर से खडा कर दिया है. सुशील मोदी जी को नालंदा में जाकर ये देखना चाहिए कि वहां पढाई हो रही है. नालंदा अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय नाम अब पुरी दुनिया में हो रहा है. हाल के दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया है बिहार सरकार ने इसमें अलग खंडो का बजट दिया है. मेडिकल कॉलेज से लेकर नर्सिंग संस्थान तक , प्रोफेशनल शिक्षा और परंपरागत शिक्षा को बराबर तरजीह दी जा रही है.